रांची : संस्कृत भारती रांची के तत्वावधान में आयोजित संस्कृत सप्ताह का समापन रविवार को पुरस्कार वितरण के साथ हुआ। अतिथियों के दीप प्रज्ज्वलन और छात्रों के मंगलाचरण के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
विशिष्ट अतिथि संस्कृत भारती के प्रान्त सहमन्त्री पृथ्वीराज सिंह ने संस्कृत छात्रों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि आने वाला समय संस्कृत के विद्यार्थियों के लिए स्वर्णिम काल होगा। संस्कृत भाषा के पुनरुत्थान का समय प्रारम्भ हो चुका है। सारस्वत अतिथि प्रान्त शिक्षण प्रमुख डॉ.चन्द्रमाधव सिंह ने कहा कि संस्कृत सम्भाषण सीखना जितना सरल है उतना उपयोगी भी है। आज अनुसन्धान के क्षेत्र में लगे भारतीय वैज्ञानिक संस्कृत भाषा की तरफ आशा भरी दृष्टि से देख रहे हैं।
मुख्य अतिथि संस्कृत प्राध्यापक डॉ. शैलेश कुमार मिश्र ने कहा कि कोरोना काल ने संस्कृत भाषा के अस्तित्व को सिद्ध किया है। भारत की आयुर्वैदिक चिकित्सा पद्धति का लोहा सम्पूर्ण विश्व मानने लगा। भौतिकता वादी युग में संस्कृत भाषा ही लोगों को सुख-शान्ति व समृद्धि के मार्ग तक ले जाने की सामर्थ्य रखती है। विश्व की सभी समस्याओं का समाधान संस्कृत भाषा में ही निहित है। आवश्यकता है तो उनका अन्वेषण और समुचित प्रयोग करने की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्कृत भारती के महानगर अध्यक्ष डॉ. श्रीप्रकाश सिंह ने कहा कि जी-20 की बैठक में संस्कृत सद्वाक्य और सभागार का नाम भारतमण्डपम रखा जाना संस्कृत भाषा के उन्नयन का परिचायक है। जब-जब संस्कृत भाषा का स्वर्णिम काल रहा है, तब-तब भारत विश्व गुरु बना है। अतिथियों का परिचय और स्वागत मारवाड़ी महाविद्यालय के संस्कृत प्राध्यापक राहुल कुमार ने किया। धन्यवाद ज्ञापन रमेश कुमार (रांची महानगर मंत्री) और कार्यक्रम का संचालन जगदम्बा प्रसाद सिंह (रांची महानगर प्रशिक्षण प्रमुख) ने किया।
इस अवसर पर डॉ. पारंगत खल्खो सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता एवं प्रतिभागी मौजूद रहे।