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Prayagraj : राज्य को खनिजों पर नियामक शुल्क वसूलने का अधिकार : हाईकोर्ट

लघु खनिज नियमावली की धाराओं को संशोधित करने वाले शासनादेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लघु खनिज (कन्सेशन) नियमावली की धाराओं को संशोधित करने वाले नियम को रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है।

कोर्ट ने कहा कि राज्य को खान और खनिज (विनियमन और विकास) अधिनियम 1957 की धारा 15(1) के तहत नियम बनाने की शक्ति प्राप्त है। लघु खनिज (रियायत) नियमावली 1963 के नियम 21(4) व 70(2) और यूपी लघु खनन (रियायत) नियमावली 2020 के नियम 21(5) और नियम 72(2) के प्रावधानों के दायरे में हैं। इन प्रावधानों के तहत यूपी सरकार अपने शासनादेश 24 फरवरी 2020 और 10 अगस्त 2022 के तहत अन्य राज्यों से यूपी राज्य में लाए गए खनिजों पर नियामक (रेगुलेटरी) शुल्क वसूलने का आदेश जारी किया है, जो कि वैध है। यह नियामक शुल्क भारत के संविधान के भाग के 13 का उल्लंघन नहीं करता है।

यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने छतरपुर क्रसर एसोसिएशन व अन्य और स्टोन क्रसर ऑनर्स वेलफेयर सोसायटी व अन्य की याचिका पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया है। याचियों की ओर से यूपी सरकार द्वारा लघु खनिज (रियायत) नियमावली 1963 के नियम 21(4) व 70(2) और यूपी लघु खनन (रियायत) नियमावली 2020 के नियम 21(5) और नियम 72(2) को संशोधन करने वाले 48वें शासनादेश को चुनौती दी गई थी। यूपी सरकार की ओर से इस संबंध में 24 फरवरी 2020 और 10 अगस्त 2022 को शासनादेश जारी किया गया था। याचियों ने उसे चुनौती दी।

यूपी सरकार की ओर से जारी शासनादेश में कहा गया कि अवैध परिवहन पर प्रभावी नियंत्रण के लिए यह शासनादेश जारी किया गया और रेगुलेटरी शुल्क लगाया गया। याचियों की ओर से इसे गलत बताया गया। कहा गया कि यह जबरन थोपा गया है। हालांकि, सरकारी अधिवक्ता की ओर से इसका विरोध किया गया। कहा गया कि जारी किया गया शासनादेश संवैधानिक दायरे में है। कोर्ट ने इन तथ्यों को देखते हुए याचिका को खारिज कर दिया।

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