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PRATAPGARH : भूजल प्रदूषित करने पर होगी कारावास की होगी सजाः जिलाधिकारी

जिला भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद की बैठक में जिलाधिकारी ने दिए जरूरी दिशा निर्देश

इंडिया ग्राउंड रिपोर्ट डेस्क
प्रतापगढ़ : जिलाधिकारी डा. नितिन बंसल जिला भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद के सदस्यों व सचिव के साथ बैठक की। कलेक्ट्रेट सभागार में हुई बैठक में हाइड्रोलाजिस्ट रविशंकर पटेल ने बताया कि जनपद में आरओ प्लांट बिना एनओसी/पंजीकरण के चलाए जा रहे हैं और क्रिटिकल एवं अतिदोहित क्षेत्रों में अवैधानिक रूप से बोरिंग इत्यादि कार्य कराया जा रहा है।
उक्त प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि तत्काल प्रभाव से भूजल उपभोक्ताओं (औद्योगिक, वाणिज्यिक, अवसंरचनात्मक, सामूहिक उपयोगकर्ताओं) को इस नोटिस भेजी जाए कि 15 दिन के अंदर विभागीय पोर्टल के माध्यम से कूपों का पंजीकरण करवाकर एनओसी प्राप्त करें अन्यथा भूगर्भ जल प्रबंधन अधिनियम-2019 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
जिलाधिकारी ने जनपद में भूजल संसाधनों की सुरक्षा, संरक्षण, प्रबंधन एवं नियमन के प्रति भूजल की उपलबधता समान रूप से निरंतर बनाए रखने के लिए सदस्यों को राज्य भूगर्भ जल प्रबंधन एवं विनियामक प्राधिकरण के अनुसार कार्यवाही का निर्देश। जिलाधिकारी ने कहा कि किसी भी व्यवसायिक, औद्योगिक, इंफ्रास्ट्रक्चर एवं बल्क यूजर के उल्लंघन की स्थिति में प्रथम बार दो लाख से पांच लाख रुपये अर्थदंड लगाया जाएगा अथवा छह से एक साल की कारावास की सजा अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है।
जिलाधिकारी ने कहा कि भू-जल प्रदूषण का दोषी पाए जाने पर प्रथम बार दो से 03 वर्ष की सजा और पांच-10 लाख रुपये का अर्थदंड लगाया जा सकता है। इस प्रकार के अपराध की पुनरावृत्ति पर पांच से सात वर्ष का कारावास और 10-20 लाख रुपये का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। किसी भी भू-जल आपूर्तिकर्ता (राज्य सरकार की पेयजल योजनाओं के अतिरिक्त) द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले भूजल की गुणवत्ता का मानक पूरा नहीं करने की स्थिति में न्यूनतम 02 लाख एवं अधिकतम पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।

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