India Ground Report

Poem : कहानियों में ठहरा स्त्री का दुख

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मन्नू भंडारी के निधन पर गुलजार हुसैन की कविता

जिनके उपन्यासों को पढ़ते हुए बड़ी हुई एक पीढ़ी ने जाना
कि क्या फर्क होता है एक स्त्री के युंही जीने और आत्मसम्मान के साथ जीने में
जिनकी कलम से निकली कहानियों में ठहरा स्त्री का दुख, आत्मग्लानि, पीड़ा और तिरस्कार
झकझोरता रहा हर मन को बारंबार
और बनाता रहा धरातल पर ठोस किरदार
जो बोल सके सर उठाकर लगातार

हां, मन्नू जी सौंप गईं इस समाज को ‘आपका बंटी’
जिसकी मासूम आंखों से देखते हुए सभी आंकते रहे हर माता-पिता के बीच उपजे तनाव को
और महसूस करते रहे बचपन पर घिर आए दुख को सचेत रहने के लिए
ताकि बचा रहे बचपन
बचा रहे मां का स्नेह और पिता का प्यार

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