India Ground Report

सुबह का गीत

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यकीनन ये धरा, आकाश होगा,
हमें अपना, वही अहसास होगा।
मिलेंगे रोज चेहरे और किस्से,
मिलेंगे रोज इससे और उससे,
उजाले लौट आएंगे सुबह के,
हमारा घर, हमारे पास होगा।
कि फिर से बतकही का दौर होगा,
गली में आम का फि‍र बौर होगा,
तुम्हें फि‍र रोज दखेंगे नजर भर,
नहीं फिर आंख का उपवास होगा।
कि लौटेगा समय फि‍र क्यारियों में,
नहीं होगा कोई बीमारियों में,
हंसेंगे फूल मुरझाए हुए से,
महकती सांस में मधुमास होगा।


(यश मालवीय)

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