नयी दिल्ली: (New Delhi) भारत ने जलवायु परिवर्तन के कारण प्रतिकूल प्रभावों से निपटने के लिए कोष स्थापित करने संबंधी समझौता करने के लिए रविवार को मिस्र में संपन्न हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन को ऐतिहासिक बताया और कहा कि दुनिया ने इसके लिए लंबे समय तक इंतजार किया है।सीओपी27 के समापन सत्र में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने यह भी कहा कि दुनिया को किसानों पर न्यूनीकरण (ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में कमी) की जिम्मेदारियों का बोझ नहीं डालना चाहिए।
यादव ने सम्मेलन की अध्यक्षता करने वाले मिस्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आप एक ऐतिहासिक सीओपी की अध्यक्षता कर रहे हैं, जहां हानि और क्षति निधि के लिए समझौता किया गया है। दुनिया ने इसके लिए बहुत लंबा इंतजार किया है। आम सहमति बनाने के आपके अथक प्रयासों के लिए हम आपको बधाई देते हैं।’’हानि और क्षति का तात्पर्य जलवायु परिवर्तन के कारण हुई आपदाओं से होने वाला विनाश है।यादव ने सीओपी27 में कृषि एवं खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में जलवायु कार्रवाई पर चार साल का कार्यक्रम शुरू किए जाने पर कहा कि लाखों छोटे किसानों की आजीविका का मुख्य आधार कृषि है, जो जलवायु परिवर्तन से बहुत प्रभावित होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हमें उन पर न्यूनीकरण की जिम्मेदारियों का बोझ नहीं डालना चाहिए। वास्तव में, भारत ने अपने एनडीसी (ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए पेरिस समझौते में निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने की राष्ट्रीय योजनाओं) से कृषि में न्यूनीकरण को अलग रखा है।’’
भारत ने सीओपी27 में कृषि विरोधी कदमों के लिए विकसित देशों का विरोध करते हुए बृहस्पतिवार को कहा था कि अमीर देश अपनी जीवनशैली में बदलाव करके उत्सर्जन कम नहीं करना चाहते और वे ‘‘विदेश में सस्ते समाधानों की तलाश कर रहे हैं।’’
भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का लगभग 17 प्रतिशत हिस्सा है और यह लगभग 58 प्रतिशत आबादी के लिए आजीविका का प्राथमिक स्रोत है।यादव ने शर्म अल-शेख में किए गए समझौते संबंधी मुख्य निर्णय में ‘‘जलवायु परिवर्तन से निपटने के हमारे प्रयासों के जरिए बदलाव के तहत सतत जीवन शैली और खपत एवं उत्पादन की टिकाऊ प्रणाली अपनाने’’ को शामिल करने का स्वागत किया।उन्होंने सीओपी27 में शामिल होने से पहले कहा था कि भारत जलवायु वार्ता में सतत जीवन शैली पर जोर देगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस की उपस्थिति में ‘मिशन लाइफ’ की शुरुआत की थी। ‘लाइफ’ का मतलब है ‘पर्यावरण के लिए जीवन शैली’। यह दुनिया को बिना सोचे समझे खपत करने के बजाय प्राकृतिक संसाधनों का सावधानीपूर्वक और विवेकपूर्ण उपयोग करने की दिशा में आगे बढ़ाने का एक जनहितैषी और पृथ्वी-अनुकूल प्रयास है।यादव ने न्यायोचित बदलाव पर एक कार्यक्रम शुरू किए जाने पर कहा कि ज्यादातर विकासशील देशों के लिए न्यायसंगत बदलाव को कम कार्बन उत्सर्जन के जरिए विकास से जोड़ा जा सकता है।