India Ground Report

New Delhi : जर्मनी के सहयोग से भारत में बनाई जाएंगी छह आधुनिक स्वदेशी पनडुब्बियां

भारतीय नौसेना ने 60 हजार करोड़ रुपये के टेंडर जारी करके शुरू की प्रक्रिया

मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड में लार्सन एंड टुब्रो करेगा इन पनडुब्बियों का निर्माण

नई दिल्ली : जर्मन पनडुब्बी निर्माता कंपनी थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स के सहयोग से भारतीय नौसेना के लिए छह अत्यधिक उन्नत पनडुब्बियों का निर्माण भारत में ही किया जाएगा। भारतीय नौसेना को 2020 से ही छह पनडुब्बियों के लिए विदेशी पार्टनर की तलाश थी। अब इन छह पनडुब्बियों का निर्माण भारतीय शिपयार्ड मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड में लार्सन एंड टुब्रो की साझेदारी में किया जाना फाइनल हो गया है। नौसेना ने इसके लिए 60 हजार करोड़ रुपये के टेंडर जारी करके पनडुब्बियों के निर्माण के लिए परीक्षण शुरू कर दिया है।

पारंपरिक पनडुब्बी बेड़े के आधुनिकीकरण की दिशा में काम कर रही भारतीय नौसेना ने विदेशी विक्रेताओं के साथ भारतीय साझेदारी में छह पनडुब्बियों के निर्माण के लिए भारतीय शिपयार्ड मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड और लार्सन एंड टुब्रो को निविदा जारी की है। जर्मन कंपनी मेगा थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स टेंडर के लिए भारतीय रक्षा मंत्रालय के शिपयार्ड मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) के साथ साझेदारी कर रही है। यह प्रक्रिया इस साल मार्च में शुरू हुई थी, जब नौसेना की एक टीम ने जर्मन एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन प्रणाली देखने के लिए जर्मनी का दौरा किया था।

भारतीय रक्षा पीएसयू मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) और जर्मनी के थाइसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स ने जून, 2023 में परियोजना 75 आई की निविदा में भाग लेने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। एमओयू के अनुसार थाइसेनक्रुप इंजीनियरिंग और डिजाइन की पेशकश करेगा और मुंबई स्थित एमडीएल में छह पनडुब्बियों का निर्माण होगा। एमडीएल इस टेंडर में प्रमुख भागीदार है, जहां 60 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ छह पनडुब्बियों का निर्माण किया जाना है।

दरअसल, भारत में बनने वाली पनडुब्बियों में एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन सिस्टम (एआईपी) की खासियत होगी, जो उन्हें लंबे समय तक पानी के नीचे रहने की क्षमता प्रदान करेगी। जर्मन पनडुब्बियों का निर्माण करना एमडीएल के लिए कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी भारत ने चार पनडुब्बियों के लिए जर्मन एचडीडब्ल्यू से अनुबंध किया था, जिसमें से दो का निर्माण एमडीएल ने ही किया गया था।

थाइसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स के सीईओ और थिसेनक्रुप के प्रबंधन बोर्ड के सदस्य ओलिवर बर्कहार्ड ने कहा कि हमें इस पर बहुत गर्व है और भविष्य में भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान जारी रखने में खुशी होगी। हम भारत के साथ एक भरोसेमंद और दशक भर की साझेदारी की ओर देखते हैं। 1980 के दशक में हमने जो नावें बनाई थीं, वे आज भी सेवा में हैं।

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