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New Delhi : डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन नहीं चला सकती रामदेव की कंपनी : हाई काेर्ट

नई दिल्ली : (New Delhi) दिल्ली हाई कोर्ट ने बाबा रामदेव (Baba Ramdev, the Delhi High Court) को झटका देते हुए उनकी कंपनी पतंजलि आयुर्वेद (company Patanjali Ayurveda) को निर्देश दिया है कि वो डाबर च्यवनप्राश (Dabur Chyawanprash) के खिलाफ कोई भी भ्रामक या नकारात्मक विज्ञापन का प्रसारण नहीं करें। जस्टिस मिनी पुष्करणा (Justice Mini Pushkarna) की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये अंतरिम आदेश जारी किया। मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी।

याचिका डाबर इंडिया ने दायर की है। सुनवाई के दौरान डाबर इंडिया के वकील संदीप सेठी (Dabur India’s lawyer Sandeep Sethi) ने आरोप लगाया कि वह बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद अपने विज्ञापनों के जरिये च्यवनप्राश को गलत तरीके से बदनाम करके उपभोक्ताओं को भ्रमित कर रही है। पतंजलि ने भ्रामक और गलत दावा कर यह बताने की कोशिश की है कि वही एकमात्र असली आयुर्वेदिक च्यवनप्राश बनाता है। कोर्ट ने दिसंबर, 2024 में समन जारी किया था, लेकिन इसके बावजूद पतंजलि ने एक हफ्ते में 6182 भ्रामक विज्ञापन प्रसारित किए थे।

डाबर की याचिका में कहा गया है कि पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurveda) डाबर के उत्पाद को साधारण बताकर उसकी छवि खराब करने की कोशिश कर रही है। विज्ञापनों में दावा किया गया है कि पतंजलि का च्यवनप्राश 51 से अधिक जड़ी-बूटियों से बना है, जबकि हकीकत में इसमें सिर्फ 47 जड़ी-बूटियां हैं। डाबर ने आराेप लगाया है कि पतंजलि के उत्पाद में पारा पाया गया, जो बच्चों के लिए हानिकारक है।

इसके पहले हाई कोर्ट ने रूह अफजा मामले (Rooh Afza case) में बाबा रामदेव के विवादित बयान पर फटकार लगाई थी। हाई कोर्ट की फटकार के बाद बाबा रामदेव ने कहा था कि वो विवादित बयान से संबंधित सभी वीडियो हटा लेंगे। हाई कोर्ट ने कहा था कि बाबा रामदेव किसी के नियंत्रण में नहीं हैं और अपनी ही दुनिया में रहते हैं।

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