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New Delhi : रील संस्कृति पर राज्य सभा में उठे सवाल

नई दिल्ली : (New Delhi) राज्य सभा में शून्य काल के दौरान शुक्रवार को राजस्थान से राज्यसभा सदस्य मदन राठौर (Rajya Sabha member from Rajasthan, Madan Rathore) ने रील कल्चर पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे रिश्ते शर्मसार हो रहे हैं। देवर-भाभी के रिश्ते को हमारे समाज में माता-पुत्र के रिश्ते की तरह देखा जाता है, लेकिन रील्स में इसे असामाजिक तरीके से पेश किया जाता है। रील्स की वजह से समाज बर्बाद हो रहा है। उन्होंने अश्लील रील बनाने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग करते हुए सरकार से इसके खिलाफ कानून बनाने की जरूरत बताई।

राज्य सभा में आज शून्य काल में कई दूसरे महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए। राज्यसभा सदस्य पीटी ऊषा (Rajya Sabha member P.T. Usha) ने स्वदेशी डोपिंग-रोधी किट बनाने की मांग करते हुए कहा कि स्वदेशी तकनीक लाने से टेस्ट की कीमत कम और समय की बचत होगी। एंटी डोपिंग टेस्ट में भारत आत्मनिर्भर होगा और कुछ नए स्टार्टअप शुरू होने से रोजगार के अवसर भी बढे़ंगे।

इसके साथ वायु प्रदूषण का भी मुद्दा उठा। शिवसेना (UBT) की राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी (Rajya Sabha member Priyanka Chaturvedi) ने कहा कि देश के सामने मौजूदा चुनौतियों के बारे में सदन में चर्चा ज्यादा जरूरी है। एसआईआर, वायु प्रदूषण, बेरोजगारी का संकट, गोवा आग त्रासदी उतने ही जरूरी मुद्दे थे और उम्मीद है कि हम संसद के काम करने के दिन बढ़ा कर ऐसे मामलों पर चर्चा कर सकते हैं।

वहीं, मनोनीत सदस्य सुधा मूर्ति (nominated member Sudha Murthy) ने 02 बजे के बाद निजी विधेयक के तहत शुक्रवार को छोटे बच्चों की शिक्षा से संबंधित निजी विधेयक रखा। उन्होंने सरकार से मांग की है कि शिक्षा का अधिकार तीन वर्ष से 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों पर लागू होना चाहिए फिलहाल ये 6 वर्ष से शुरू होता है, आयु तीन साल घटा देनी चाहिए। सुधा मूर्ति ने कहा तीन से 6 वर्ष तक की आयु के बच्चों का पोषण और पढ़ाई मुफ्त होनी चाहिए और इसको मूलभूत अधिकार बनाना चाहिए। उन्होंने कहा तीन से छह साल की आयु में बच्चे का दिमाग विकसित होता है, समाज के जो वंचित वर्ग के बच्चे हैं उनको इस आयु में पोषण और शिक्षा दोनों देने चाहिए।

उन्होंने सरकार से आंगनबाड़ी को आधुनिक और बेहतर बनाने का अनुरोध किया। उन्होंने आंगनबाड़ी को आधुनिक सुविधाओं से युक्त किए जाने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कर्मियों को दीपा नाम (Anganwadi workers should be named Deepa) दिया जाए क्योंकि वे ज्ञान की दीप जलाती है। उन्होंने कहा कि समाज के वंचित वर्ग के तीन साल के बच्चों को आंगनबाड़ी में पोषण और शिक्षा मुफ्त दी जानी चाहिए। सुधा मूर्ति ने मांग की कि सरकार संविधान में संशोधन विधेयक लेकर आए । अनुच्छेद 21 में 21 बी जोड़ा जाना चाहिए जो 3 से 6 वर्ष तक की आयु के बच्चों को मुफ्त देखभाल, पोषण और शिक्षा की गारंटी दे।

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