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NEW DELHI : मेट्रो की सम्पत्ति कुर्क होने से बचाने के लिए कानून पर पुनर्विचार के पुरी ने दिये निर्देश

नयी दिल्ली : केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दिल्ली मेट्रो को राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों की जीवन रेखा बताते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे मेट्रो रेलवे अधिनियम के प्रावधानों पर फिर से विचार करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मेट्रो की कोई भी संपत्ति या बैंक खाता कभी भी कुर्क न हो सके।

यह टिप्पणी दिल्ली उच्च न्यायालय में तीन मार्च को आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय की ओर से दायर अतिरिक्त हलफनामे के साथ संलग्न दस्तावेज में पुरी द्वारा की गयी थी।

उन्होंने दिल्ली मेट्रो की संपत्तियों को कुर्क करने की अनुमति देने से इनकार करते हुए कहा कि यह दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की जीवन रेखा बन गई है और लाखों लोगों की आजीविका इस पर निर्भर है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की कंपनी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) के पक्ष में मध्यस्थता अदालत के फैसले के अनुरूप राशि का भुगतान न कर पाने को लेकर दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) की चल और अचल सम्पत्तियों को कुर्क करने की मंजूरी देने को केंद्र सरकार से कहा था। इसके कुछ दिनों बाद पुरी की यह टिप्पणी आई है।

मंत्री ने कहा कि दिल्ली मेट्रो दिल्ली-एनसीआर के लगभग 60 लाख लोगों की रोजाना आवागमन की जरूरतें पूरी करती है।

मंत्री ने कहा, “केंद्र सरकार से 30 साल के अनुबंध के पहले ही कुछ वर्षों में हवाई अड्डा मेट्रो लाइन की सेवाएं छोड़ने वाली कंपनी को भुगतान करने के लिए डीएमआरसी की संपत्तियों को कुर्क करने की मंजूरी देने के लिए कहा जा रहा है।”

उन्होंने कहा कि कोई भी प्रतिकूल परिणाम ऐसी स्थिति की ओर ले जाएगा जहां सार्वजनिक आवागमन ठप हो जाएगा और इससे लगभग 400 किलोमीटर के मेट्रो नेटवर्क की लंबाई में कानून-व्यवस्था की गंभीर समस्या पैदा हो सकती है।

पुरी ने कहा, “मैं डिवीजन को मेट्रो अधिनियम, 2002 की धारा 89 पर फिर से विचार करने और इसे मुकम्मल बनाने के लिए संशोधन करने का भी निर्देश देता हूं, ताकि इसकी संपत्तियों या बैंक खातों या किसी भी संपत्ति को कुर्क नहीं की जा सके।” .

हलफनामे से जुड़े दस्तावेज में अपनी अलग टिप्पणी में मंत्रालय में सचिव मनोज जोशी ने कहा, ‘‘मामले की पृष्ठभूमि और जनहित को ध्यान में रखते हुए हमें डीएमआरसी की संपत्तियों की कुर्की की मंजूरी के लिए सहमत नहीं होना चाहिए।’’

उच्च न्यायालय ने पिछले साल 10 मार्च को डीएमआरसी को निर्देश दिया था कि वह डीएएमईपीएल को दो महीने के भीतर दो समान किस्तों में ब्याज सहित 4,600 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान करे।

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