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New Delhi : ‘उदयपुर फाइल्स’ के निर्माता ने हाई कोर्ट से कहा- फिल्म में 6 बदलाव किए

नई दिल्ली : (New Delhi) दिल्ली उच्च न्यायालय (the Delhi High Court) में उदयपुर फाइल्स फिल्म (film Udaipur Files) के निर्माता ने कहा कि उन्होंने फिल्म में छह बदलाव किए है और फिल्म का प्रमाणपत्र दोबारा मिलना अभी बाकी है। चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की (Chief Justice DK Upadhyay) अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर अगली सुनवाई 30 जुलाई को करने का आदेश दिया।

दरअसल, उच्चतम न्यायालय ने 25 जुलाई को उदयपुर फाइल्स को लेकर केंद्र सरकार की ओर से किए गए बदलाव पर विचार करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय (Central Government regarding Udaipur Files) भेजने का आदेश दिया था। 21 जुलाई को केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया था कि उसने फिल्म में छह बदलाव किए हैं। उसके बाद न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि केंद्र के फैसले पर दो दिनों में आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट में कहा था कि केंद्र सरकार ने याचिकाकर्ता के प्रतिवेदन पर फैसला कर लिया है। इस फिल्म में डिस्क्लेमर को बोल्ड करने (including bolding the disclaimer) समेत छह बदलाव किए गए हैं।

10 जुलाई को उच्च न्यायालय ने फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को रिलीज करने पर अंतरिम रोक (On July 10, the High Court had imposed an interim stay on the release of the film ‘Udaipur Files’) लगा दी थी। चीफ जस्टिस उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया था कि वो फिल्म को लेकर केंद्र सरकार के समक्ष 14 जुलाई तक अपनी आपत्ति दर्ज कराएं। न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता की आपत्ति मिलने के बाद उस पर एक हफ्ते में फैसला करें। उच्च न्यायालय ने कहा था कि केंद्र सरकार के फैसला आने तक फिल्म की रिलीज पर अंतरिम रोक जारी रहेगी।

उच्च न्यायालय में याचिका जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने दायर की थी। जमीयत की ओर से वकील फुजैल अहमद अययुबी ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि फिल्म के ट्रेलर में पैगम्बर मोहम्मद और उनकी पत्नियों के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणी की गई है। फिल्म के ट्रेलर में नूपुर शर्मा का विवादित बयान भी शामिल है। याचिका में जमीयत ने आरोप लगाया था कि फिल्म के ट्रेलर में पैगम्बर मोहम्मद और उनकी पत्नियों के बारे में की गयी आपत्तिजनक टिप्पणी देश के अमन-चैन को बिगाड़ सकती है। याचिका में कहा गया था कि फिल्म में देवबंद को कट्टरवाद का अड्डा बताया गया है और वहां के उलेमा के विरुद्ध जहर उगला गया है।

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