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New Delhi : गेहूं की फसल पर उच्च तापमान के प्रभाव के बारे में कहना जल्दबाजी होगी: तोमर

नयी दिल्ली : केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को कहा कि उच्च तापमान का गेहूं की फसल पर अब तक कोई प्रभाव नहीं देखा गया है। संभावित प्रभाव के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।

मध्य प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में कटाई शुरू होने के दौरान क्या गेहूं की फसल पर कोई प्रतिकूल प्रभाव देखा गया है, इस पर तोमर ने कहा, ‘‘कृषि के सामने मौसम संबंधी चुनौतियां हमेशा रहती हैं।’’

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘लेकिन मैं समझता हूं कि अभी कोई स्थिति नहीं है। कोई प्रभाव पड़ा है, ऐसा कहना जलदबाजी होगी।”

तोमर यहां ‘प्लांट बेस्ड फूड इंडस्ट्री एसोसिएशन’ (पीबीएफआईए) के एक कार्यक्रम के दौरान अलग से बातचीत में यह बात कही।

गेहूं एक प्रमुख रबी (सर्दियों में बोई जाने वाली) फसल है।

सरकार ने 20 फरवरी को तापमान में असामान्य वृद्धि और गेहूं की फसल पर इसके प्रभाव से उत्पन्न स्थिति की निगरानी के लिए एक समिति का गठन किया और फसल को बचाने के लिए कृषक समुदाय को आवश्यक सलाह भी जारी की।

समिति बनाने का निर्णय देश के कुछ हिस्सों में तापमान सामान्य से अधिक रहने के कारण लिया गया।

फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में भारत का गेहूं उत्पादन पिछले वर्ष के 10 करोड़ 95.9 लाख टन से घटकर 10 करोड़ 77.4 लाख टन रह गया, जिसका कारण कुछ प्रमुख उत्पादक राज्यों में गर्मी की लू का चलना था।

घरेलू उत्पादन में मामूली गिरावट और केंद्रीय पूल के लिए एफसीआई की खरीद में तेज गिरावट के बाद केंद्र ने पिछले साल मई में बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

सरकार ने कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार 2022-23 फसल वर्ष में रिकॉर्ड 11 करोड़ 21.8 लाख टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया है।

इस महीने की शुरुआत में, खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा था, “अगले दो हफ्तों में गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाने वाली कोई लू चलने की आशंका नहीं है, जो अनाज के गठन की एक महत्वपूर्ण अवधि है।”

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के निदेशक ए के सिंह ने पिछले महीने कहा था कि 35 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान गेहूं की फसल के लिए चिंता का विषय नहीं है।

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