India Ground Report

New Delhi : रिटर्न के मामले में शेयर बाजार से आगे निकला सोना, सोने की मदद से निवेशक हुए अमीर

नई दिल्ली : (New Delhi) सर्राफा बाजार (bullion market) में सोना लगातार मजबूती के नए रिकॉर्ड बना रहा है। खासकर साल 2025 में सोने की कीमत में जिस तरह तेजी का रुख बना है, उससे निवेशकों की कमाई में जमकर इजाफा हुआ है। सोने से मिलने वाले रिटर्न कि अगर स्टॉक मार्केट से मिलने वाले रिटर्न से तुलना करें, तो पिछले 5 साल की अवधि में इसने शेयर बाजार को भी पीछे छोड़ दिया है।

सोने से मिलने वाले रिटर्न की बात करें तो पिछले 5 साल की अवधि में इसकी कीमत में 200 प्रतिशत से अधिक का उछाल आया है। इस तरह इस अवधि में सोना ने निवेशकों को करीब 24 प्रतिशत से अधिक की चक्रवृद्धि दर (कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट) के हिसाब से मुनाफा कराया है। दूसरी ओर, स्टॉक मार्केट स्टॉक मार्केट से मिलने वाले रिटर्न की ओर बात करें तो इस अवधि में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी ने निवेशकों को 17 प्रतिशत से अधिक की चक्रवृद्धि दर (कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट) के हिसाब से मुनाफा कराया है।

5 साल पहले 2020 में सोने की कीमत 39,000 रुपये प्रति 10 ग्राम थी, जो अब 1,17,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को पार कर चुकी है। सोने की कीमत में आई तेजी के कारण अब लोगों के उस नजरिये में भी बदलाव होना शुरू हो गया है, जिसमें सोना को सेफ इन्वेस्टमेंट तो माना जाता था, लेकिन इसे स्लो ग्रोथ इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट भी कहा जाता (gold a safe investment, but also a slow-growth investment instrument) था। मतलब सोना को सुरक्षित निवेश तो जरूर माना जाता था, लेकिन साथ में ये भी कहा जाता था कि इसमें किए गए निवेश से तगड़ा रिटर्न नहीं मिल पाता है।

कमोडिटी मार्केट एक्सपर्ट मयंक मोहन (Mayank Mohan) का कहना है कि पिछले 5 साल की अवधि में सोने की कीमत में आई तेजी की एक बड़ी वजह दुनिया के कई देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा अपना स्वर्ण भंडार बढ़ाने की कोशिश में बड़ी मात्रा में सोने की खरीद किया जाना है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की एक रिपोर्ट में साफ किया गया है कि केंद्रीय बैंकों द्वारा पिछले 5 सालों के दौरान की गई सोने की खरीदारी पिछले कई दशकों के दौरान सबसे ऊंचे स्तर पर रही है।

मयंक मोहन का कहना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में लगातार जारी उतार-चढ़ाव, खासकर इस साल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अलग-अलग देश पर टैरिफ का बोझ जिस तरह से डाला है, उसकी वजह से दुनिया भर के बाजारों में डर का माहौल बना हुआ है। ऐसी स्थिति में निवेशक सेफ इन्वेस्टमेंट के रूप में सोने की खरीदारी पर विशेष ध्यान दे रहे हैं, जिससे इस चमकीली धातु की कीमत में भी लगातार इजाफा हो रहा है।

सोने की कीमत बढ़ने की एक वजह कोरोना काल में दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में कटौती करने का फैसला भी रहा है। दुनिया के तमाम देशों में केंद्रीय बैंकों ने कोरोना महामारी के दौरान लोगों को राहत पहुंचाने के इरादे से ब्याज दरों में कटौती की थी। इससे निवेशकों के सामने बॉन्ड और फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) के विकल्प सीमित हो गए। ऐसा होने पर निवेशकों के लिए सोने में पैसा लगाना ज्यादा आकर्षक हो गया। इसका असर सोने की कीमत में आई तेजी के रूप में साफ-साफ नजर आया। इस तरह से कोरोना काल और उसके बाद की अवधि में सोने की कीमत के लिए लगातार अनुकूल माहौल बना रहा, जिसके कारण सोना सिर्फ सेफ इन्वेस्टमेंट का जरिया ही नहीं रहा, बल्कि वो दुनिया में सबसे अधिक रिटर्न देने वाले एसेट में से एक हो गया।

अंतरराष्ट्रीय बाजार की तरह ही अगर भारतीय बाजार की बात करें, तो यहां सोने की कीमत में आई तेजी की एक बड़ी वजह मुद्रा बाजार में रुपये की कीमत में आई कमजोरी भी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत डॉलर में तय होती है। ऐसे में डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत में आई गिरावट का असर भारतीय निवेशकों पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ा है। भारतीय निवेशकों को सोने की खरीद करने में पहले से अधिक रुपये का डॉलर के रूप में भुगतान करना पड़ रहा है। इस तरह भारतीय निवेशकों की सोने की खरीदारी करने में लागत बढ़ी है। इसी वजह से भारतीय बाजार में भी सोना लगातार तेजी के मार्ग पर चल रहा है, जिससे निवेशकों का रिटर्न लगातार बढ़ता जा रहा है।

Exit mobile version