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New Delhi : ‘विरासत कर’ की राय पर भड़के अर्थशास्त्री गौतम सेन, कहा ये चीन-पाकिस्तान के हमले को बुलावा देगा

नई दिल्ली : अमेरिका में कोई ‘विरासत कर’ नहीं है, अमेरिका में इसे एस्टेट ड्यूटी या गिफ्ट टैक्स कहा जाता है। इसके तहत अमेरिका के अमीरों का पैसा ट्रस्टों के पास है। इसलिए भारत के लिए अमेरिका का उदाहरण देना उचित नहीं है बल्कि भारत में ‘विरासत कर’ के लिए सर्वेक्षण करने का प्रस्ताव भी कई कारणों से अव्यावहारिक है।

आज (बुधवार) को मीडिया से बातचीत के दौरान इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अर्थशास्त्री गौतम सेन ने यह टिप्पणी सैम पित्राेदा के उस बयान पर की है। उन्होंने कहा कि अगर भारत में ‘विरासत कर’ जैसा कुछ लगाया जाता है तो एक डेढ़ प्रतिशत लोगों को फायदा सकता है लेकिन शेष पीड़ित होंगे। भारत की अर्थव्यस्था चौपट हो जाएगी। विदेशी आक्रांता इसका फायदा उठा सकते हैं। यह चीन और पाकिस्तान के हमले को बुलावा देंगे। इसलिए ‘विरासत कर’ जैसा काेई कुछ करना चाहता है वह भारत का मित्र नहीं हो सकता है।

अर्थशास्त्री गौतम सेन ने कहा कि सबसे पहली बात तो यह है कि अमेरिका में कोई विरासत कर नहीं है। इसे एस्टेट ड्यूटी और गिफ्ट टैक्स कहा जाता है। अमेरिका में 2022 तक मृतकों में से 0.14% को इसका भुगतान किया गया है। पूरे अमेरिका में 4000 लोग संपत्ति शुल्क के अधीन हैं, अधिकांश संपत्तियां छूट गई हैं क्योंकि छूट की सीमा बहुत अधिक है।

गौतम सेन यह भी कहा वास्तव में अमेरिका में अमीरों का 13.6 मिलियन डॉलर पैसा ट्रस्टों में है। इसके लिए सर्वेक्षण करने का प्रस्ताव भी कई कारणों से अव्यावहारिक है।

गौतम सेन ने कहा है कि भारत में महज 2.4 प्रतिशत लोग आयकर का भुगतान करते हैं, इसलिए उन्हें लगता है कि 1.2 मिलियन से अधिक लोगों के पास व्यक्तिगत संपत्ति नहीं है। अगर इस स्थिति में ‘विरासत कर’ थोपा जाता है तो यह गैर-समझदारी वाली बात होगी। ‘विरासत कर’ से भारत की राजनीतिक और आर्थिक अराजकता विदेशी आक्रांताओं का निमंत्रित करेगी जो भारतीय क्षेत्र पर कब्जा जमाने की प्रतीक्षा में हैं।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के धन के पुनर्वितरण के विचार पर अर्थशास्त्री गौतम सेन ने कहा किभारत में केवल 12 करोड़ लोगों के पास 102 करोड़ से अधिक की संपत्ति है। इनमें से सभी ने अपने व्यवसायों में निवेश किया है। ‘विरासत कर’ लगाने से उनके व्यवसाय खत्म हो जाएगा। भारत की अर्थव्यवस्था रुक जाएगी। ‘विरासत कर’ लगाने से 98-99 प्रतिशत लोग बेहतर स्थिति में नहीं होंगे, वे बस पीड़ित होंगे। इसके साथ ही हर दो साल में सर्वेक्षण करना होगा।

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