नयी दिल्ली: (New Delhi) राष्ट्रीय राजधानी में कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस परेड के दौरान बृहस्पतिवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की झांकी में मोटे अनाज के महत्व को प्रदर्शित किया गया। संयुक्त राष्ट्र ने इस वर्ष को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है।
आईसीएआर की झांकी के अगले हिस्से में रंगोली के जरिये मोटे अनाज को प्रदर्शित किया गया जिसमें ज्वार, बाजारा और रागी शामिल थे। इसमें कृषि के पारंपरिक एवं आधुनिक स्वरूप को भी दर्शाया गया।भारत में बड़े हिस्से में मोटा अनाज उगाया जाता है और हाल के दिनों में यह पोषक गुणवत्ता से परिपूर्ण खाद्य के रूप में प्रचलित है। इसके कारण किसान अच्छी आमदनी को देखते हुए इन्हें उगाने के लिये प्रेरित हुए हैं। मोटे अनाज के उत्पादन में भारत अग्रणी है और वर्ष 2020-21 में 21 राज्यों में इनका 1.79 करोड़ टन उत्पादन हुआ।
भारत में 1.25 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में मोटा अनाज उगाया जाता है और विश्व के कुल उत्पादन में देश की 15 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है।एक अधिकारी ने बताया कि आईसीएआर ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट के माध्यम से मोटे अनाज की नयी किस्में विकसित की हैं और इसका लाभ किसानों को मिल रहा है।गणतंत्र दिवस पर आईसीएआर की झांकी में ज्वार, बाजरा, रागी, कुटकी, सांवा जैसी फसलों को दर्शाया गया।