नई दिल्ली : (New Delhi) दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने दिल्ली दंगों की साजिश रचने के आरोपित उमर खालिद, शरजील इमाम और गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में जवाब दाखिल कर कहा है कि आरोपितों ने ये देश की अखंडता और सांप्रदायिक सद्भाव को नष्ट करने की देशव्यापी साजिश रची थी। उच्चतम न्यायालय इस मामले में उमर खालिद समेत दूसरे आरोपितों की जमानत (bail pleas of Umar Khalid and other accused) याचिकाओं पर 31 अक्टूबर को सुनवाई करेगा।
दिल्ली पुलिस ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप (US President Trump)के दौरे के समय जानबूझकर विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए ताकि इन पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान जाए। इन विरोध प्रदर्शनों के जरिये नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को (Citizenship Amendment Act) लेकर ये भ्रम पैदा करने की कोशिश की गई थी कि ये मुस्लिम विरोधी कानून है।
दिल्ली पुलिस ने आरोपितों की जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा है कि यूएपीए के आरोपितों के लिए जेल ही नियम है जमानत नहीं। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि आरोपितों के खिलाफ जो सबूत हैं वो प्रथम दृष्टया सही हैं और उन आरोपों को गलत करार देने की जिम्मेदारी आरोपितों की ही है। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि ट्रायल में हो रही देरी के लिए आरोपी ही मुख्य रुप से जिम्मेदार हैं। दो साल से आरोप तय नहीं किए जा सके हैं क्योंकि आरोपितों की ओर से इसमें लगातार बाधा डाली जा रही है। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि इन मामलों में 900 नहीं हैं बल्कि केवल 155 गवाह हैं।
27 अक्टूबर को उच्चतम न्यायालय ने जमानत याचिकाओं पर जवाब दाखिल नहीं करने पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी। जस्टिस अरविंद कुमार की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि जब समय दिया गया था तो जवाब दाखिल क्यों नहीं किया गया। कोर्ट ने 22 सितंबर को जमानत याचिकाओं पर नोटिस जारी किया था। सभी आरोपितों ने दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से जमानत याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती दी है।
2 सितंबर को दिल्ली उच्च न्यायालय में जस्टिस नवीन चावला (On September 2, a bench headed by Justice Navin Chawla) की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली दंगों की साजिश रचने के मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम समेत अतहर खान, अब्दुल खालिद सैफी, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा और शादाब अहमद जमानत याचिका खारिज कर दिया था।
फरवरी 2020 में दिल्ली दंगों में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और काफी लोग घायल हुए थे।
