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New Delhi: दिल्ली आबकारी नीति मामला : बीआरएस नेता के. कविता ईडी के समक्ष पेश

New Delhi

नयी दिल्ली: (New Delhi) भारत राष्ट्र समिति (BRS) नेता के. कविता दिल्ली आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में शनिवार को यहां प्रवर्तन निदेशालय (ED) के समक्ष पेश हुईं।

जांच एजेंसी इस सिलसिले में गिरफ्तार एक आरोपी से उनका आमना-सामना करा सकती है और उनका बयान दर्ज कर सकती है।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की 44-वर्षीया बेटी तुगलक रोड पर अपने पिता के आधिकारिक आवास से करीब 1.5 किलोमीटर दूर एपीजे अब्दुल कलाम रोड पर संघीय एजेंसी के मुख्यालय में सुबह करीब 11 बजे पहुंचीं।

ईडी कार्यालय में भारी संख्या में दिल्ली पुलिस और केंद्रीय अर्द्धसैन्य बलों के कर्मियों को तैनात किया गया है। बीआरएस नेता के समर्थकों ने एपीजे अब्दुल कलाम रोड पर प्रदर्शन भी किया।

ईडी ने कविता को नौ मार्च को पेश होने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने लंबे समय से अटके महिला आरक्षण विधेयक को संसद के बजट सत्र में पारित कराने की मांग को लेकर शुक्रवार को यहां अनशन में शामिल होने के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के कारण नयी तारीख देने का अनुरोध किया था।

बीआरएस की विधान पार्षद कविता को एजेंसी ने इसलिए बुलाया है, ताकि उनका सामना हैदराबाद के कारोबारी अरुण रामचंद्रन पिल्लई से कराया जाए। पिल्लई को इस सप्ताह ईडी ने गिरफ्तार किया था। एजेंसी धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत कविता का बयान दर्ज करेगी।

पिल्लई 12 मार्च तक ईडी की हिरासत में है और उन्हें 13 मार्च को फिर से अदालत में पेश किया जाएगा। पिल्लई ‘रॉबिन डिस्टिलरीज एलएलपी’ नामक कंपनी में साझेदार हैं। ईडी ने दावा किया कि यह कंपनी तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी एवं विधान पार्षद के. कविता और अन्य से जुड़े कथित शराब कार्टल ‘साउथ ग्रुप’ का प्रतिनिधित्व करती है।

ऐसा आरोप है कि ‘साउथ ग्रुप’ ने अब निरस्त कर दी गयी दिल्ली आबकारी नीति 2020-21 के तहत राष्ट्रीय राजधानी के बाजार में अधिक हिस्सेदारी हासिल करने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) को करीब 100 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी।

कविता से इस मामले में पहले केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने भी पूछताछ की थी। ईडी ने इस मामले में अभी तक दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं आप नेता मनीष सिसोदिया समेत 12 लोगों को गिरफ्तार किया है।

ऐसा आरोप है कि दिल्ली सरकार की शराब कारोबारियों को लाइसेंस देने के लिए 2021-22 की आबकारी नीति से उद्यमियों को सांठगांठ करने का अवसर दिया गया तथा कुछ डीलरों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया, जिन्होंने इसके लिए कथित तौर पर घूस दी।

बहरहाल, आम आदमी पार्टी (आप) ने इस आरोप का जोरदार खंडन किया है। बाद में यह नीति रद्द कर दी गयी और दिल्ली के उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की, जिसके बाद ईडी ने पीएमएलए के तहत आरोपियों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया।

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