India Ground Report

New Delhi : उत्तराखंड के जंगलों की आग बुझाने के लिए इंद्र देवता पर आश्रित नहीं रहा जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : उत्तराखंड के जंगलों में आग के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आग को बुझाने के लिए क्लाउड सीडिंग या इंद्र देवता पर आश्रित नहीं रहा जा सकता है। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि आग लगने के मामलों पर काबू पाने के लिए निरोधात्मक उपाय करने होंगे। मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होगी।

आज सुनवाई के दौरान उत्तराखंड सरकार की ओर से पेश डिप्टी एडवोकेट जनरल जतिंदर कुमार सेठी ने सुप्रीम कोर्ट को आग रोकने के लिए उठाये गए कदमों के बारे में बताया। उत्तराखंड सरकार ने कहा कि लोग भले ही कह रहे हैं कि राज्य के जंगल का 40 फीसदी हिस्सा आग से प्रभावित है लेकिन राज्य के जंगलों का 0.1 फीसदी आग से प्रभावित है। नवंबर, 2023 से अब तक आग लगने की 398 घटनाएं हुई हैं, जिनमें अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है। सरकार ने कहा कि आग लगने की सभी घटनाओं के लिए मनुष्य जिम्मेदार हैं। आग लगने की घटनाओं के लिए 62 लोगों को नामजद किया गया है।

टिहरी गढ़वाल के एक वकील रितुपूर्ण उनियाल ने दायर याचिका में कहा है कि 1 नवंबर, 2023 से लेकर अब तक उत्तराखंड में करीब 910 आग लगने की घटनाएं घट चुकी हैं। इससे करीब 1145 हेक्टेयर जंगल का नुकसान हुआ है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि आग लगने की घटनाओं से उत्तराखंड के कुमाऊं इलाके के 44 फीसदी जंगल क्षेत्र का नुकसान हुआ है। आग लगने की इन घटनाओं में 90 फीसदी के लिए मनुष्य जिम्मेदार हैं।

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