नयी दिल्ली: (New Delhi) दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष राम निवास गोयल (Delhi Assembly Speaker Ram Niwas Goel) ने यमुना नदी में प्रदूषण के मुद्दे को लेकर बुधवार को सदन में प्रदर्शन कर रहे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चार विधायकों को सदन से बाहर निकालने का निर्देश दिया।भाजपा के विधायकों ने यमुना में प्रदूषण के मुद्दे पर चर्चा की मांग की थी, जिसे अध्यक्ष ने अस्वीकार करते हुए कहा कि वह किसी नियम के तहत किसी चर्चा की अनुमति नहीं देंगे।विधायकों ने दो बोतलों में यमुना के पानी के नमूने अध्यक्ष को दिए। इस पर अध्यक्ष ने आगाह किया, ‘‘पानी तेजाब से दूषित पाया गया तो भाजपा विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी।’’गोयल ने भाजपा के विधायकों से कहा, ‘‘ उपराज्यपाल ने सदन को पंगु बना दिया है और भाजपा के विधायकों को इसके लिए शर्मिंदा होना चाहिए। भाजपा के विधायकों को उपराज्यपाल के पास जाकर उनसे सदन का मखौल उड़ाना बंद करने को कहना चाहिए।’’
गोयल ने मार्शल को भाजपा के विधायक अजय महावर, अनिल बाजपेयी, मोहन सिंह बिष्ट और ओपी शर्मा को सदन से बाहर निकालने का निर्देश दिया। इसके बाद भाजपा के बाकी विधायकों ने विरोध में सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करने का फैसला किया।इससे पहले यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण के मुद्दे पर भाजपा के विधायकों ने बुधवार को दिल्ली विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया।विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा था कि यमुना के गंदे पानी की आपूर्ति की वजह से लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ इससे कैंसर की बीमारी हो रही है। गुर्दे व यकृत को नुकसान पहुंच रहा है और साथ ही यह अन्य बीमारियां की वजह भी बन रहा है। (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी सरकार ने यमुना की सफाई के लिए (आम आदमी पार्टी) ‘आप’ सरकार को 2500 करोड़ रुपये दिए हैं।’’उन्होंने कहा, ‘‘ हम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से पूछना चाहते हैं कि यह पैसा कहां गया क्योंकि उनकी सरकार की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘आप’ के आठ साल के कार्यकाल में यमुना 200 प्रतिशत अधिक प्रदूषित हुई है।’’
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के आंकड़ों का हवाला देते हुए उपराज्यपाल के कार्यालय ने सोमवार को कहा था कि अरविंद केजरीवाल सरकार के पिछले आठ वर्ष के कार्यकाल में यमुना नदी में प्रदूषण दोगुना हुआ है।दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के अनुसार, वह पुरानी समस्याओं को हल करने के लिए पहले से ही काम कर रहा है और करीब सभी प्रमुख सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) के उन्नयन का काम दिसंबर के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।