
मुंबई : बीएमसी के स्कूलों में छात्र नामांकन में बढ़ोतरी हुई हैं। इसका मुख्य कारण एम.पी.एस स्कूलों की बढ़ती संख्या और कोरोना काल को बताया गया है। बता दें कि प्रजा फाउंडेशन ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस कर ‘मुंबई में महानगरपालिका शिक्षा की स्थिति’ पर अपनी रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ बीएमसी के स्कूलों में छात्र नामांकन में वर्ष 2012-13 से 2018-19 तक लगातार गिरावट देखी गया है। परंतु, वर्ष 2018-19 से 2021-22 तक, जो की कोरोना के दौरान का समय है, इस नामांकन में 6 फीसदी की वृद्धि देखी गई है।
प्रजा फाउंडेशन के संस्थापक और प्रबंध न्यासी निताई मेहता ने कहा कि ‘इस वृद्धि को बीएमसी को अपने आगे बढ़ने के लिए एक अवसर के रूप में देखना चाहिए। उन्हें अपने स्कूलों के नामांकित छात्रों के अनुपात को ध्यान में रखते हुए, उसके अनुसार अपने स्कुल की सुविधाएं और इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक करना चाहिए। (इन्फ्रास्ट्रक्चर) और संसाधन प्रदान करने के लिए प्रावधान करना चाहिए। उदाहरण के लिए, एम.पी.एस स्कूलों में नामांकन 2014-15 से 2021-22 तक 92% बढ़ गया क्योंकि इन स्कूलों में प्री-प्राइमरी से 10वीं कक्षा तक हैं। यह इंगित करता है कि अभिभावक अपने बच्चे की शिक्षा के लिए बी.एम.सी. स्कूलों को मान रहे हैं और बी.एम.सी को इसे अपनी शिक्षा प्रणाली को और बेहतर बनाने के अवसर के रूप में लेना चाहिए।’
प्रजा के संवाद कार्यक्रम के प्रमुख योगेश मिश्रा ने कहा कि शिक्षा का अधिकार आर.टी.ई अधिनियम 2009 यह बताता है कि छात्र-शिक्षक अनुपात 30:1 होना चाहिए जबकि, बीएमसी के अंग्रेजी माध्यम में यह अनुपात वर्ष 2021-22 में 40:1 था। इस अंतराल को दूर करने के लिए बीएमसी को एक सही बजट बनाकर उसे गुणवत्ता शिक्षण देने हेतु इस्तेमाल करना चाहिए। हालांकि, देखा जाए, तो बीएमसी के पास पर्याप्त बजट है, बस उन्हें आउटपुट तंत्र पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। बीएमसी का शिक्षा बजट वित्त वर्ष 2012-13 से वर्ष 2022-23 तक 52% बढ़ गया है।
प्रजा फाउंडेशन के हिसाब से बीएमसी को सुधार के लिए प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जैसे कि प्री-प्राइमरी से 10वीं कक्षा तक अधिक स्कूलों का निर्माण करना और छात्रों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए उन्हें संसाधन पहुंचना। बीएमसी शिक्षा विभाग को उचित रूप से ‘कार्य योजना’ भरने के लिए प्रशिक्षण और निर्देश देना चाहिए ताकि स्कूल को आवश्यक प्रावधान उपलब्ध कराया जा सकें। इसके अलावा, परिणाम-आधारित बजट तैयार करने की आवश्यकता है।