
MUMBAI : राणा दंपत्ति के खिलाफ राजद्रोह का आरोप लगाने के लिए पर्याप्त आधार नहीं: अदालत

मुंबई। मुंबई की एक विशेष अदालत ने कहा कि सांसद नवनीत राणा (Navneet Rana) और उनके विधायक पति रवि राणा (Ravi Rana) ने ‘‘निसंदेह संविधान के तहत मिली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा को लांघा है‘‘, लेकिन केवल अपमानजनक या आपत्तिजनक शब्दों की अभिव्यक्ति ही उनके खिलाफ राजद्रोह का आरोप लगाने के लिए पर्याप्त आधार नहीं हो सकते हैं।
अदालत ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray ) के आवास के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने की दंपति की घोषणा का इरादा ‘‘हिंसक तरीकों से सरकार गिराने’’ का नहीं था। हालांकि, उनके बयान ‘‘दोषपूर्ण’’ हैं, लेकिन वे इतने भी पर्याप्त नहीं है कि उन्हें राजद्रोह के आरोप के दायरे में लाया जा सके।
विशेष अदालत के न्यायाधीश आर एन रोकाडे ने बुधवार को जन प्रतिनिधि दंपत्ति को जमानत देते हुए यह टिप्पणी की। आदेश की विस्तृत प्रति शुक्रवार को उपलब्ध कराई गई। अदालत ने माना कि इस स्तर पर प्रथम दृष्टया दंपति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124 ए (राजद्रोह) के तहत आरोप नहीं बनते हैं।
मुंबई पुलिस ने पिछले हफ्ते दंपति की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि उनकी योजना से अपराध की मंशा नहीं दिखती है, लेकिन वास्तव में यह राज्य सरकार को चुनौती देने की एक ‘‘बड़ी साजिश’’ थी। योजना का उद्देश्य कानून-व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ना था और फिर महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा वर्तमान सरकार को भंग करने की मांग करना था।
पुलिस ने कहा था कि जब भड़काऊ बयानों के इस्तेमाल से सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करने या कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने की घातक प्रवृत्ति या मंशा होती है तो राजद्रोह के प्रावधान लगाए जाते हैं।