India Ground Report

motivational story : जीवन का मूल्य

कलाकृति : जयदीप नूनिया
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एक व्यक्ति के वर्षों से घर के कोने में वाद्ययन्त्र था। घर के लोगों ने तय किया उसे फेंक देना चाहिए। एक सदस्य ने ने उसे फेंक भी दिया। जब वे फेंककर लौटै ही रहे थे कि रास्ते से गुजरते फकीर ने उस वाद्य को उठा लिया और उसे बजाने लगा। फकीर उस वाद्य को बजाने में पारंगत थे, अतः बड़ी मधुर धुनें निकालने लगा। जिन्होंने उस वाद्य को फेंका था, वे भी उसकी सुरीली मधुर धुन सुनकर ठहर गए और लौटकर फकीर से वाद्ययंत्र मांगने लगे। फकीर ने कहा कि यह तो मुझे कूड़ेदान में मिला है। मकान मालिक ने कहा कि इसे हमने ही फेंका था, यह हमारा है। फकीर ने कहा कि तो फिर क्यों फेंका था कूड़ेदान में? यदि तुम्हारा था तो बजाते। वाद्य यन्त्र तो बजाने के लिए ही होता है। व्यक्ति ने शर्मिंदगी से कहा हमें लगा कि यह बेकार से है, पर अब देखता हूँ इसमें मधुर धुन भरी हुई है।
फाकरी ने मुस्कुराते हुए वाद्ययन्त्र दिया और कहा
मित्र जीवन भी इसी वाद्य की तरह है। परमात्मा ने यह धरोहर सबको बड़े प्यार से सौंपी है कि इससे जीवन का आनन्द उठाया जाय, किन्तु इससे आनन्द कम, उपद्रव अधिक पैदा होता है। इसे बजाने की बजाय जानबूझकर कूड़ेदान के सुपुर्द कर दिया जाता है। जो जीवन का मूल्य समझते हैं, वे वाद्य यन्त्र की मधुर धुन बजाते हुए आनन्द उठाते हैं।

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