India Ground Report

motivational story : पतन का कारण

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एक जिज्ञासु ने किसी ज्ञानी से पूछा, मनुष्यों की बनावट तो एक जैसी है। फिर उनमें से कुछ पतन के गर्त में गिरकर डूब क्यों जाते हैं?” ज्ञानी ने दूसरे दिन शिष्य को बुलाया और उत्तर बता देने का वचन दिया।

नियत समय दोनों समीपवर्ती तालाब के किनारे चलने की योजनानुसार तैयारी करने लगे। ज्ञानी के पास दो कमण्डलु थे। उनमें से एक साबूत था, दूसरे के पेंदे में छेद था। दोनों जिज्ञासु को दिखा दिये। साबूत कमण्डलु पानी में फेंका गया तो वह लगातार तैरता रहा, डूबा नहीं। इसके बाद दूसरा कमण्डलु फेंका गया। उसके पेंदे में पानी भर गया और कुछ ही दूर तैरकर वह पानी में डूब गया।

ज्ञानी ने जिज्ञासु से पूछा कि दोनों कमण्डलुओं की भिन्न-भिन्न परिणति का क्या कारण हुआ? जिज्ञासुने सहज भाव से बता दिया कि जिसके पेंदे में छेद था उसमें बाहर का पानी भर गया और वह डूब गया। ज्ञानी ने इसी उदाहरण का हवाला देते हुए कहा कि जिसके पेंदे में छेद था वही डूबा। इसी प्रकार जिस मनुष्य में असंयम के दोष होते हैं, बाहर की दुष्प्रवृत्तियां उसमें घुस पड़ती हैं और उसे डुबा देती हैं। जिज्ञासु समझ गया कि अपने व्यक्तिगत दुर्गुणों से ही मनुष्य संसारकी दुष्प्रवृत्तियों की चपेट में आता और डूब जाता है। जिनमें दोष या छिद्र नहीं हैं, वे तैरते रहते हैं और पार उतरते हैं।

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