
प्रेरक प्रसंग : तीव्र इच्छा शक्ति

दीपावली का दिन था। एक छोटा मुस्लिम बालक भी हिन्दुओं का यह उल्लासपूर्ण पर्व मनाना चाहता था, लेकिन वह बहुत गरीब था। वह लड़का अखबार बेचकर अपनी पढ़ाई का खर्च जुटाता था और दो पैसे की मदद अपने परिवार की भी किया करता था। उनके पास पैसों की भारी किल्लत थी। संयोगवश उस दिन उसने अखबार बेचकर अन्य दिनों की अपेक्षा पांच पैसे ज्यादा कमाए। तब वह पटाखे वाले के पास जाता है और उससे एक रॉकेट की मांग करता है, परन्तु वह विक्रेता रॉकेट देने से मना कर देता है।
वह मना करते हुए कहता है कि पांच पैसे में रॉकेट नहीं आता है। बालक निराश हो जाता है और दुकानदार से कहता है अच्छा मुझे पांच पैसे के खराब पटाखे ही दे दो? खराब मतलब? वे किस काम आएंगे? मैं उनसे रॉकेट बना लूंगा?
इसके बाद वह पांच पैसे में ढेर सारे खराब पटाखों का कूड़ा उठा लाया और एक नहीं कई रॉकेट बनाए और उस दिन उसके गांव में मुस्लिम मोहल्ले में गगन की दूरी नापने वाले दीवाली के रॉकेट केवल उस बालक के आंगन से ही छोड़े गए थे। वह बालक ही आगे चलकर मिसाइल-मैन के नाम से प्रसिद्ध हुआ। और बाद में वह बालक भारत का राष्ट्रपति भी बना। उस बालक का नाम ए. पी. जे. अब्दुल कलाम था। अगर मन में तीव्र इच्छा शक्ति हो तो कुछ भी किया जा सकता है।