
तुम्हे प्यार करने से ज्यादा मुश्किल है
तुम पर कविता लिखना।
तुम्हे थोड़ा सरल हो जाना चाहिए
तुम तो जानती ही हो कि मुझे गणित बिल्कुल नहीं आती है,
बस एक सीधी रेखा खींच लेता हूं,
तुमने ही सिखाया था कि एक और एक मिलकर एक होते हैं,
दो नहीं होते हैं और न ग्यारह,
यह कहते हुए तुमने एक सीधी रेखा खींच दी थी,
अब इस रेखा पर तुम कहीं नहीं दिखती हो
मैं यही एक सिरे पर सदियों से खड़ा हूं …प्रतीक्षारत!!
-पंकज मिसरा