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महाराष्ट्र में महायुति जीत के करीब, अदाणी ग्रुप की 3 अरब डॉलर की धारावी परियोजना रद्द होने से बची!

मुंबई: धारावी पुनर्विकास परियोजना महाराष्ट्र में भाजपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना की महायुति सरकार की भारी जीत के बाद अब बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ने की स्थिति में है। यह परियोजना एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी को एक विश्वस्तरीय शहरी केंद्र में बदलने का वादा करती है।

चुनाव और परियोजना का राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

  1. विपक्ष का विरोध:
    • उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) ने चुनाव प्रचार के दौरान जनता से वादा किया था कि सत्ता में आने पर अदाणी समूह को दिए गए इस परियोजना के अनुबंध को रद्द कर दिया जाएगा।
    • कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने भी इसे सरकार की अदाणी समूह को फायदा पहुंचाने की रणनीति बताया।
    • राहुल गांधी ने इस परियोजना को बार-बार उठाते हुए भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी पर अदाणी जैसे उद्योगपतियों के लिए काम करने का आरोप लगाया।
  2. महायुति का समर्थन:
    • सत्तारूढ़ भाजपा-शिंदे सरकार ने धारावी परियोजना को मुंबई के झुग्गी पुनर्विकास के लिए वैश्विक मॉडल के रूप में पेश किया।
    • चुनावों में मिली भारी जीत से यह साफ हो गया है कि परियोजना पर अब कोई राजनीतिक संकट नहीं रहेगा।

परियोजना की मुख्य बातें:

विवाद और चुनौतियां:

  1. अनुबंध पर विवाद:
    • विपक्ष ने आरोप लगाया कि अदाणी समूह को अनुचित लाभ देते हुए परियोजना का ठेका दिया गया।
    • अदाणी समूह ने इन आरोपों का खंडन करते हुए इसे पारदर्शी प्रक्रिया करार दिया है।
  2. स्थानीय निवासियों की चिंताएं:
    • कुछ स्थानीय लोगों का दावा है कि परियोजना से सभी निवासियों को लाभ नहीं होगा, और कई लोग बेघर हो सकते हैं।
    • व्यवसायों के पुनर्वास को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।
  3. पात्रता का विवाद:
    • 1 जनवरी 2000 के बाद यहां बसने वाले लगभग 3 लाख निवासियों को पुनर्वास के योग्य नहीं माना गया है, जिससे असंतोष है।

धारावी का महत्व और अदाणी की भूमिका:

धारावी को एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के रूप में जाना जाता है। यह मुंबई के हवाई अड्डे के करीब स्थित है और आर्थिक गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र है। अदाणी समूह की इस परियोजना के तहत धारावी की कायापलट से:

निष्कर्ष:

धारावी पुनर्विकास परियोजना अब राजनीतिक सहमति के साथ आगे बढ़ सकती है। हालांकि, यह परियोजना स्थानीय निवासियों की संतुष्टि और पारदर्शिता के साथ ही सफल हो सकती है। अगर सरकार और अदाणी समूह स्थानीय चिंताओं को संबोधित करने में असफल रहते हैं, तो यह मुद्दा भविष्य में फिर से विवाद का केंद्र बन सकता है।

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