बुद्ध पूर्णिमा विशेष : वर्तमान ‘सुख से जीने का एकमात्र मंत्र’
बुद्ध की सभा चल रही थी और सब उन्हें मंत्र-मुग्ध से सुन रहे थे। सभा समाप्त होने पर उनसे प्रभावित एक धनिक ने बुद्ध के निकट आकर कहा- ‘प्रभु, आप जैसा ओजस्वी और तपस्वी इस पृथ्वी पर न कभी था, न है और न कभी होगा!’ बुद्ध बोले- ‘वत्स, क्या तुम इतना ज्ञान प्राप्त कर … Continue reading बुद्ध पूर्णिमा विशेष : वर्तमान ‘सुख से जीने का एकमात्र मंत्र’
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