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बायरन (1788-1824) का पत्र केरोलिन के नाम

अंग्रेजी के जाने-माने, कवि लॉर्ड बायरन के विविध प्रेम-प्रसंग भी उतने ही मशहूर है, जितनी उनकी कविताएं। यह प्रेम-पत्र उन्होंने लेडी केरोलिन लैब को तब लिखा था, जब वे उसे (करीब-करीब) छोड़ चुके थे।

यह वक्त शब्दों के लिए नहीं है

अगस्त 1812 (तिथि संदिग्ध )

माय डियरेस्ट केरोलिन,

अगर तुमने वे आंसू देखे होते जो तुम जानती हो मुझे बहाने का कतई शौक नहीं है और वह भावावेश, जिसके साथ मैं तुमसे जुदा हुआ वह भावावेश, जो तुमने – हमारे इस बेहद असंयत प्रेम में जरूर महसूस किया होगा, तब तक शुरू नहीं हुआ था, जब तक तुमसे बिछुड़ने का क्षण नहीं आ गया- अगर जो कुछ मैंने कहा है और किया है और जो मैं अब भी कहने और करने को तैयार हूं, मेरी सच्ची भावनाओं को स्पष्ट रूप से सिद्ध नहीं कर पाया है, उन भावनाओं को जो मेरे दिल में तुम्हारे प्रति हमेशा रहेंगी तो माई लव, मेरे पास कोई और सबूत नहीं है। ईश्वर जानता है, मैं तुम्हें खुश देखना चाहता हूं और जब मैं तुम्हें छोडूंगा या यूं कहो कि अपने पति और अपनी मां – के प्रति अपने कर्तव्य को देखते हुए तुम मुझे छोड़ोगी – तो तुम्हें मेरे वायदे और संकल्प की सच्चाई का ज्ञान होगा – कि कोई भी दूसरा मेरी भावनाओं में वह जगह नहीं ले सकेगा, जो सिर्फ तुम्हारी है और रहेगी, जब तक मैं हूं। ‘उस क्षण’ से पहले तक मुझे अपने सबसे प्यारे और चहेते मित्र के ‘पागलपन’ के बारे में कुछ भी पता न था, मैं अपने-आपको अभिव्यक्त नहीं कर सकता, यह वक्त शब्दों के लिए नहीं है, पर मुझे एक गर्व का एक उदासी भरे आनंद का अनुभव होगा, उस पीड़ा को लेकर जिसके बारे में तुम शायद सोच भी न सको, क्योंकि तुम मुझे नहीं जानती हो। मैं एक भारी मन के साथ जाने ही वाला हूं, क्योंकि मेरे पहुंचने से वे सारी अफवाहें जाएंगी, जिन्हें दिन की घटनाओं ने जन्म दिया होगा। क्या तुम अब भी सोचती हो कि मैं ठंडा, कटु और बनावटी हूं? क्या दूसरे लोग भी यही सोचते हैं? क्या तुम्हारी मां भी वह मां जिसके लिए हमें ज्यादा-से-ज्यादा त्याग करने की कोशिश करनी चाहिए. इतना ज्यादा कि वह कभी कल्पना तक न कर पाए। ‘वादा करो कि तुम्हें प्रेम नहीं करूंगा, ‘आह केरोलिन, अब वादों का वक्त गुजर चुका है, लेकिन किसी सही उददेश्य के लिए तुम मेरी तरफ से हमेशा सहयोग की अपेक्षा कर सकती हो। मेरी वे भावनाएं जिन्हें तुम देख चुकी हो, हमेशा वैसी ही रहेंगी पर इनका सिर्फ मुझे पता होगा, या शायद तुम्हें। ईश्वर तुम्हारी रक्षा करे, तुम्हें क्षमा करे और तुम पर अपनी कृपा बनाए रखे, पहले से कही ज़्यादा।

तुमसे बहुत जुड़ा हुआ
बायरन

पुनश्चः ये शिकवे-शिकायतें जिन्होंने तुम्हें यहां पहुंचा दिया है, क्या तुम्हारी मां और अन्य संपर्कों की वजह से नहीं हैं? क्या पृथ्वी पर या स्वर्गलोक में कोई ऐसी चीज है, जो मुझे तुम्हारे साथ विवाह करने से ज्यादा प्रसन्नता दे सकती थी, वह भी बहुत पहले? या अब भी कोई ऐसी चीज़ है, या क्यों समझा जाना चाहिए? मुझे परवाह नहीं कि इस बारे में कौन जानता है और क्या करता है। कुछ त्याग सकता हूं। पर अगर मैं ऐसा नहीं कर रहा, तो इसके पीछे मेरी विवशताओं को गलत मेरे लिए तुम्हारा और सिर्फ तुम्हारा महत्व है। मैं तुम्हारा था, तुम्हारा रहूंगा, हमेशा तुम्हारे हुक्म का पालन करने के लिए, तुम्हारा मान करने के लिए, तुम्हें प्रेम करने के लिए। तुम जब जहां और जैसे कहो मैं तुम्हारे साथ उड़ चलने को तैयार हूं।

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