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Kolkata : कोलकाता में फर्जी बैंक वेबसाइट बनाकर करोड़ों की साइबर ठगी

कोलकाता : (Kolkata) कोलकाता पुलिस की साइबर सेल (cyber cell of Kolkata Police) ने एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए फर्जी बैंक वेबसाइट के जरिए लोगों से लाखों रुपये ठगने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। यह गिरोह एक्सिस बैंक की नकली वेबसाइट (fake website of Axis Bank) के माध्यम से शातिर तरीके से लोगों को ठगता था। मामले में चार आरोपितों को गिरफ्तार कर उनके पास से 17 लाख की इलेक्ट्रॉनिक सामग्री और नकदी बरामद की गई है।

अलीफ नगर के रहने वाले संदीप कुमार अग्रवाल (Sandeep Kumar Agarwal) (32) ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उन्होंने 11 जुलाई से पहले एक्सिस बैंक का कस्टमर केयर नंबर गूगल पर सर्च किया, जहां एक फर्जी वेबसाइट पर उन्हें एक नंबर मिला —6287209236। उस नंबर पर कॉल करने पर सामने वाले ने खुद को बैंक का ब्रांच मैनेजर बताते हुए शिकायत दर्ज करने के लिए एक व्हाट्सएप लिंक भेजा।

जैसे ही पीड़ित ने लिंक पर क्लिक किया, उनका मोबाइल फोन हैक हो गया और कुछ ही समय में यूनियन बैंक के उनके क्रेडिट कार्ड (credit card of Union Bank) से एक लाख 18 हजार 410 की राशि लेन-देन कर ली गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए एडीसी मेहताब आलम और इंस्पेक्टर नदीम अख्तर (ADC Mehtab Alam and Inspector Nadeem Akhtar) (गार्डेनरीच थाना) के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल का गठन किया गया। साइबर सेल और अन्य इकाइयों की मदद से 26 और 27 जुलाई की रात लगभग 2:00 बजे कोलकाता के विभिन्न इलाकों में छापेमारी की गई, जिसके बाद चार आरोपितों को गिरफ्तार किया गया।

जांच में सामने आया कि आरोपितों ने ठगी के पैसों से महंगे मोबाइल, टैबलेट, घड़ियां, ब्लूटूथ स्पीकर आदि खरीदे और उन्हें कोलकाता के विभिन्न हिस्सों में बेच दिया। गिरोह का संचालन कोलकाता और झारखंड के कुख्यात साइबर अपराध केंद्र जामताड़ा से हो रहा था।

गिरफ्तार आरोपितों की पहचान इस प्रकार है :- मोहम्मद आरिफ़ ख़ान (26) जो एंटली का निवासी है, राजा हाती (28) जो लेकटाउन का निवासी है।मोहम्मद एहसान अली उर्फ कैफ (21) जो एंटली का निवासी और बिकाश कुमार (24) दुमका जिला, झारखंड का निवासी है।

इनके पास से पुलिस ने 39 मोबाइल फोन,आठ पावर बैंक, तीन सीलबंद घड़ियां, एक टैबलेट, दो ब्लूटूथ स्पीकर, एक हेडफोन, एक स्कूटर और 2.5 लाख नकद जब्त किया है। जब्त सामग्री की अनुमानित कीमत 15 लाख से 17 लाख के बीच आंकी गई है। पुलिस अब इस गिरोह के अन्य सदस्यों और पूरे साइबर नेटवर्क की तह तक जाने में जुटी है। साथ ही, ठगी के पैसों के डिजिटल ट्रांजैक्शन की भी विस्तृत जांच की जा रही है।

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