शिमला : (Shimla) वर्ष 2024 समाप्ति की ओर है। ये वर्ष हिमाचल प्रदेश के लिए कई मायनों में खास रहा। राज्य की सियासी फिजा पूरी तरह से बदली नजर आई। सियासी घटनाएं ऐसी रहीं कि इतिहास के पटल पर हमेशा के लिए अंकित हो गई। हिमाचल में वर्ष 2024 में संजौली मस्जिद का मामला (Sanjauli Masjid case) खूब चर्चा में रहा और इसने पूरे देश में सुर्खियां बटोरीं। हिमाचल की माली हालत का मुद्दा भी कई राज्य के विधानसभा चुनाव में छाया रहा। इस साल भी आपदा ने लोगों को गहरे जख्म दिए। रामपुर (village of Rampur) का समेज गांव कुदरती आपदा में तबाह हो गया।
राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग और भाजपा की जीत
वर्ष 2024 में सबसे अहम सियासी घटनाक्रम फरवरी महीने के आखिर में एक सीट पर राज्यसभा चुनाव रहे, जिसमें कांग्रेस के छह विधायकों की क्रॉस वोटिंग की बदौलत भाजपा के हर्ष महाजन राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha elections) जीते। तीन निर्दलीय विधायकों ने भी भाजपा के पक्ष में मतदान किया। 68 सदस्यों वाली विधानसभा में 40 विधायक होने के बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी राज्यसभा चुनाव हार गए। स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया (Speaker Kuldeep Singh Pathania) ने व्हिप का उल्लंघन करने पर कांग्रेस के छह विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी। तीन निर्दलीय विधायकों ने भी विस सदस्यता से इस्तीफे दे दिए। कांग्रेस के छह और तीन निर्दलीय विधायकों ने भाजपा का दामन थामा।
लोकसभा में भाजपा और विस उपचुनाव में कांग्रेस ने लहराया परचम
लोकसभा चुनाव के साथ छह सीटों पर विधानसभा उपचुनाव दोनों दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गए। लोकसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के पक्ष में रहे और चारों सीटों पर दोबारा कमल खिला। लेकिन विस उपचुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने परचम लहराया और चार सीटों पर जीत दर्ज की। भाजपा को दो ही सीटों पर जीत मिली। बड़सर से इंद्रदत्त लखनपाल और धर्मशाला से सुधीर शर्मा (Indradutt Lakhanpal from Barsar and Sudhir Sharma) ही भाजपा की टिकट पर दोबारा विस पहुंचे। इसके कुछ दिन बाद निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे से रिक्त हुई तीन सीटों पर उपचुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस को दो सीटों पर जीत मिली वहीं भाजपा के खाते में एक सीट गई। 68 सदस्यों वाली विस में कांग्रेस दोबारा से 40 सीटों पर काबिज हुई, तो भाजपा की सीटें 26 से बढ़कर 28 हुईं।
सियासी तौर पर मजबूत हुए मुख्यमंत्री सुक्खू
विधानसभा उपचुनाव के नतीजों ने कांग्रेस सरकार पर आई सियासी अस्थिरता को खत्म किया। उपचुनाव में कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु (Chief Minister Sukhwinder Singh Sukhu) पहले से मजबूत होकर उभरे। उनका सियासी कद तो बढ़ा वहीं उन्होंने भाजपा के कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने की कोशिशों पर भी पानी फेर दिया। सुक्खू ने चुनाव प्रचार में इस मुद्दे को खूब भुनाया कि अन्य राज्यों की तर्ज़ पर भाजपा यहां भी उनकी सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है। इसे प्रचार का जरिया बनाकर मुख्यमंत्री लोगों को भावनात्मक तौर पर जोड़ने में सफल रहे।
सूक्खू कैबिनेट का विस्तार, दो नए चेहरे शामिल
सुक्खू सरकार में बहुप्रतीक्षित कैबिनेट विस्तार भी इसी साल हुआ। कैबिनेट में बिलासपुर और कांगड़ा जिलों को प्रतिनिधित्व मिला। बिलासपुर जिला के घुमारवीं से राजेश धर्माणी और कांगड़ा जिला के जयसिंहपुर से यादविंदर गोमा ने कैबिनट मंत्री की शपथ ली। सुक्खू कैबिनेट में एक मंत्री का पद अभी भी रिक्त चल रहा है।
राज्य की खस्ता माली हालत, मंत्रियों की दो माह की सैलरी विलंबित
राज्य की खराब माली हालत ने सरकार की मुश्किलें बढ़ाई और मानसून सत्र में मुख्यमंत्री ने अपनी व मंत्रियों के दो महीने की सैलरी को विलंबित करने का निर्णय लिया। इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों व पेंशनरों को सितंबर महीने में पहली तारीख की बजाय 10 तारीख को सैलरी व पेंशन मिली। इस पर विपक्ष ने तंज कसा कि सूबे की माली हालत इस कदर बिगड़ चुकी है कि सरकार अपने कर्मचारियों को समय पर पेंशन नहीं दे पा रही है। हालांकि अक्टूबर महीने में दिवाली से चार दिन पहले अगले महीने की पगार देकर सरकार ने कर्मचारियों को रिझाने का प्रयास किया। कांग्रेस सरकार ने केंद्र की एनडीए सरकार पर हिमाचल की मदद न करने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सूक्खु लगातार कहते रहे कि केंद्र सरकार से हिमाचल को आर्थिक मदद नहीं मिल रही है और राज्य के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।
दूसरी तरफ विपक्षी दल भाजपा के नेताओं द्वारा गारंटियों और बढ़ते कर्ज़ को लेकर सत्तारूढ़ कांग्रेस की घेराबंदी की गई। भाजपा ने हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में भी हिमाचल के इन मुद्दों को भुनाया।
सचिवालय कर्मचारियों ने खोला मोर्चा
राज्य के इतिहास में पहली बार सचिवालय कर्मी सरकार के खिलाफ मुखर हुए। सचिवालय कर्मचारी महासंघ सेवाओं के बैनर तले कर्मचारियों ने सचिवालय परिसर में सरकार के खिलाफ गेट मीटिंग की। इस पर कर्मचारी नेताओं को सरकार की ओर से नोटिस मिले। बाद में दिवाली पर कर्मचारियों को जब लंबित डीए जारी हुआ, तो उनका ये आक्रोश शांत हुआ।
संजौली मस्जिद में अवैध निर्माण ने पकड़ा तूल, सड़कों पर उतरे हिन्दू संगठन
शिमला के उपनगर संजौली में मस्जिद में अवैध निर्माण के मुद्दे ने जोर पकड़ा और हिन्दू समाज लामबंद हो गया। हिन्दू संगठनों ने 11 सितंबर को संजौली में विशाल प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों की भीड़ बेकाबू हुई और बैरिकेडिंग तोड़ कर मस्जिद स्थल की तरफ बढ़ने लगी, तो पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया। जिससे भीड़ नियंत्रित हुई। वहीं प्रदर्शनकारियों की ओर से पुलिस पर पत्थर बरसाए गए। इस दौरान पुलिस कर्मियों सहित कई लोग चोटिल हुए।
संजौली के बाद अन्य जिलों में भी अवैध मस्जिदें के खिलाफ़ आवाज़ उठी और हिन्दू संगठनों ने प्रदर्शन किए। नगर निगम शिमला के आयुक्त की अदालत ने संजौली मस्जिद के अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के मस्जिद कमेटी को आदेश दिये। इन आदेशों को मुस्लिम पक्ष ने जिला अदालत में चुनौती दी। अदालत ने संजौली मस्जिद के अवैध निर्माण को गिराने के नगर निगम के आदेश को जायज ठहराया।
आपदा ने दिए जख्म, रामपुर का समेज गांव तबाह
इस साल भी मानसूनी आपदा ने प्रदेश पर कहर बरपाया। शिमला, मंडी और कुल्लू जिलों में भूस्खलन, बादल फटने और बाढ़ से कई लोगों की जान गई। कई परिवार एक साथ खत्म हो गए। 31 जुलाई की रात श्रीखंड की पहाड़ियों पर बादल फटने से आए सैलाब में रामपुर का समेज गांव तबाह हो गया। समेज खड्ड के किनारे बसे इस गांव का नामोनिशान मिट गया। इस दर्दनाक घटना में गांव के 36 लोग लापता हुए। कई दिनों तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन में 22 लोगों के ही शव मिल पाए। इसके अलावा कुल्लू और मंडी में भी बादल फटने से भारी तबाही हुई।
हाईकोर्ट का सरकार को झटका, छह मुख्य संसदीय सचिव हटाये
इस साल हिमाचल हाईकोर्ट ने छह संसदीय सचिवों की नियुक्ति को अवैध ठहराया। सुक्खू सरकार ने डेढ़ साल पहले छह विधायकों को मुख्य संसदीय सचिव बनाया था। ऐसे में हाईकोर्ट के आदेश से सरकार को करारा झटका लगा। इस मामले में प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के सीपीएस हटाने के फैसले को सही ठहराया। साथ ही सीपीएस रहे छह विधायकों की विधानसभा सदस्यता रद्द करने से इंकार कर दिया।
सुक्खू सरकार ने बिलासपुर में मनाया दो साल का जश्न, छह नई योजनाओं की शुरुआत
सुक्खू सरकार ने 11 दिसम्बर को अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूरे किए। इसका जश्न बिलासपुर में मनाया गया। कांग्रेस द्वारा लुहणू मैदान में की गई जनसभा में भारी तादाद में लोगों को जुटाकर शक्तिप्रदर्शन किया गया। इस समारोह में सुक्खू सरकार ने प्रदेशवासियों को छह नई योजनाओं की सौगात दी। मुख्यमंत्री सहित कांग्रेस नेताओं ने दो वर्षों में किए गए कार्यों को जनता के सामने रखा मुख्यमंत्री ने दो वर्षों का कार्यकाल पूरा होने के उपलक्ष पर जिन छह नई योजनाओं की शुरुआत की, उनमें राजीव गांधी स्टार्ट-अप स्वरोजगार योजना के तहत ई-टैक्सी, विधवाओं के बच्चों को उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना, हिमाचल प्रदेश शिवा परियोजना, हिम भोग आटा और गोबर की खरीद योजना शामिल हैं।
समोसे की सीआईडी जांच ने बटोरी सुर्खियां
साल के आखिरी महीनों में समोसे की सीआईडी जांच का मुद्दा भी सुर्ख़ियों में छाया रहा। यह अनोखा घटनाक्रम तब सामने आया, जब राज्य के मुख्यमंत्री शिमला स्थित सीआईडी मुख्यालय में एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे। मामले के अनुसार इस दौरान मेहमानों के लिए समोसे मंगवाए गए थे। लेकिन ये मेहमानों की बजाय अन्य कर्मचारियों को परोसे गए। इस पर सीआईडी ने आंतरिक जांच बिठा दी। इसकी लीक हुई जांच रिपोर्ट में इस कृत्य को सरकार विरोधी और वीवीआईपी की मौजूदगी के सम्मान के खिलाफ अपराध करार दिया गया। इस पर विपक्षी दल भाजपा ने खूब तंज कसे। भाजपा ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार गम्भीर मामलों की जांच की बजाय समोसों की जांच करवा कर देश भर में हंसी की पात्र बन रही है। वहीं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसे भाजपा की बचकानी हरकत करार देते हुए कहा कि विपक्ष मुद्दाविहीन है।