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ओमिक्रॉन से लेकर अस्थमा तक, केर्डे का अचार करे कई बीमारियों का इलाज

केर्डा एक ऐसा फल है जो आकार में छोटा होता है। पर इसमें सेहत से जुड़े कई खजानों का अद्भुत मिश्रण है। केर्डे का इस्तेमाल ज्यादातर अचार या सब्जी के रूप में किया जाता है। इसमें सेल्यूलेबल डाइजेस्टिव प्रोटीन, नेक्ट्रल फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम, बीटा कैरोटीन, फास्फोरस, जिंक, मैग्नीशियम, कॉपर, विटामिन सी जैसे कई कुदरती गुण प्रचुर मात्रा में मौजूद हैं। .यह इम्यूनिटी को मजबूत बनाता है। यही कारण है कि ओमिक्रॉन जैसे कई खतरनाक वायरस का सामना करने में केर्डा सक्षम है। नीचे जानते हैं इसके सेवन के फायदे

अस्थमा

अस्थमा के मरीजों के लिए केर्डा बेहद फायदेमंद है। आपको बता दें कि अस्थमा दो प्रकार से होता है। पहला वायु बढ़ने से फेफड़े सूख जाता हैं जिससे अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है। दूसरा यह है कफ की मात्रा बढ़ने से फेफड़े एक पतले आवरण से ढक जाते हैं। केर्डे का रस कड़वा और तिक्त होने के कारण यह बढ़े हुए वायु को कम करता और कफ का नाश करता है। यही वजह है कि केर्डा हर तरह के अस्थमा के लिए फायदेमंद है। अस्थमा के मरीजों को भूख नहीं लगती, पेट नहीं साफ होता है। ऐसे में केर्डा पाचन शक्ति को बढ़ता है। साथ ही इसमें मौजूद फाइबर की मात्रा कब्ज को बनने से रोकती है जो अस्थमा के मरीजों के लिए जरूरी है। आप चाहे तो घर में ही केर्डे को नमक नींबू में भिगोकर स्टोर कर सकते हैं। या फिर सरसों के तेल में हल्दी, नमक जैसे घरेलू चीजों की मदद से अचार बना कर रख सकते हैं। बाजार में भी आपको आसानी से केर्डे का अचार मिल जाएगा। इसकी पूरी जानकारी के लिए डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

खांसी

खांसी कई प्रकार की होती है जिसमें से एक है सूखी खांसी, दूसरी है बलगम वाली खांसी और तीसरी है पित्त के बढ़ने के कारण होने वाली खांसी। इससे छुटकारा दिलाने में केर्डे का अचार या सब्जी मददगार है। यह कब्ज नहीं होने देता है, जिससे पित्त का स्राव हो जाता है। केर्डा पाचन शक्ति को दुरुस्त रखता है, जिससे खांसी को बढ़ावा देने वाले कफ और वायु कंट्रोल में रहते हैं। इसके रस में मौजूद गुण गले की खराश को कम करते हैं।

बुखार

बुखार का कारण खराब पाचन माना जाता है, जिससे टॉक्सिन पूरे शरीर में फैल जाती है। यही वजह है कि बुखार के दौरान भूख नहीं लगती है और मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है। ऐसे में केर्डा भोजन को पचाने वाली जठार अग्नि को मजबूत करता है। इसकी वजह से बुखार कम हो जाता है।

डायबिटीज

आयुर्वेद में डायबिटीज को प्रमेह कहा जाता है। इस दौरान वायु और कफ बना रहता है। साथ ही पित्त भी डायबिटीज में मुख्य भूमिका निभाती है। केर्डा पाचन को सुचारू कर कफ और वायु को कंट्रोल करता है। यही नहीं कब्ज का इलाज कर पित्त को मल की मदद से बाहर कर देता है। केर्डे का रस प्रमेह यानी ब्लड और यूरिन के अंदर शर्करा को कम करता है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों को इसका सेवन नियमित करना चाहिए।

अपच और कब्ज

गर्म तासीर होने के कारण केर्डे का रस भोजन को पचाने में मदद करता है। इससे टॉक्सिन शरीर से बाहर निकल जाता है। इसका रस कड़वा और तिक्त (Bitter taste) होता है जो शरीर से । वहीं इसमें फाइबर की मौजूदगी मल को बाहर निकालती है जिससे कब्ज नहीं होता है।

जोड़ों के दर्द का इलाज

जोड़ों के दर्द का मुख्य कारण है उस जगह की मांस, संधियां और हड्डियों के क्षय होना। इससे आगे चलकर सूजन होने लगता है, जिससे चलने-फिरने और उठने-बैठने में दिक्कत आती है। इस बीमारी का मुख्य कारण भी टॉक्सिन ही है, जो कमजोर पाचन से होता है। केर्डे का रस पाचन को ठीक करता है। वहीं केर्डे में प्रचुर मात्रा में हर्बल स्टेरॉयड पाया जाता है, जो जोड़ों के सूजन को कम करके मरीज को आराम दिलाता है।

डॉ. महेश संघवी, एम. डी. (आयुर्वेद)

श्रीजी हेल्थ केयर सेंटर

मोबाइल नं : 9322271427

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