रामरेखा नहर व रतनपुर नहर की पूर्व और वर्त्तमान स्थिति की हुई समीक्षा
पूर्वी चंपारण : जिला मुख्यालय के ह्रदय में अवस्थित प्रकृति मोतीझील को फ्रेश वाटर से रिचार्ज करने वाली पश्चिम दिशा में अंबिका नगर की तरफ से आने वाले रतनपुर नहर व उत्तर दिशा में जानपुल होकर आने वाले रामरेखा नहर की तलाश शुरू हो गयी है।
मंगलवार डीएम सौरभ जोरवाल के निर्देश पर अपर समाहर्ता कक्ष मे बंजरिया व मोतिहारी के सीओ की बैठक हुई है।जहां मोतीझील को गंडक नहर के साथ धनौती नदी व बूढी गंडक से मिलने वाली फ्रेश वाटर के मुख्य स्रोत पर गहन चर्चा किया गया।
उल्लेखनीय है कि बीते दिन जिला प्रशासन ने हाई कोर्ट के समक्ष दिये अपने हलफनामे में इन दोनों मुख्य स्रोत को मोतीझील को जलापूर्ति करने वाले चैनल के रूप में माना है।पूर्व में भी गंडक नहर विभाग ने अतिक्रमण को लेकर करीब 28 लोगो पर अतिक्रमण का मामला दर्ज कराया है।बंजरिया सीओ ने बताया है,कि रतनपुर नहर का अस्तित्व पश्चिम दिशा यानी रेलवे रैक प्वाइंट तक ही दिखा रहा है।ऐसे में प्रशासन अब यह तलाशने में जुटी है कि जब नहर पश्चिम दिशा में अस्तित्व में है,तो आखिर पूर्व दिशा यानी मोतीझील की ओर विहीन कैसे हो गया ? क्या किसी के निजी जमीन में नहर का पानी बहाया जा सकता है।
मोतीझील पर दायर जनहित याचिका में पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ द्वारा सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव को चार अहम मुद्दे पर निर्देशित किया है। जिसमे गाद निकालने,झील में और झील के पास अतिक्रमण को हटाने,झील को रिचार्ज करने मुख्य स्रोत को पुर्न जीवित करने व झील में आवश्यक निर्माण कार्य जैसे पार्क और किनारे का सुदृढीकरण, पौधारोपण इत्यादि शामिल है।