बिलासपुर : (Bilaspur) बिलासा देवी केवट एयरपोर्ट चकरभाठा (Bilasa Devi Kewat Airport Chakarbhatha) से लगी रक्षा मंत्रालय की जमीन पर मुरूम की अवैध खुदाई का मामला हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान में लिया है ।इस मामले में चीफ जस्टिस की बेंच में गुरुवार को सुनवाई की गई है। जिसमें मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र अग्रवाल (Chief Justice Ramesh Kumar Sinha and Justice Ravindra Agarwal) की विशेष बैंच ने सुनवाई करते हुए मुरूम के अवैध खनन पर कड़ी नाराजगी जताई। बैंच ने कहा 13 दिसंबर 2024 के न्यूज आइटम पर देर से कार्रवाई कर नोटिस दिया गया। कोर्ट के सामने शासन का पक्ष रखते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता राजकुमार गुप्ता ने कोर्ट में गूगल के माध्यम से निकला नक्शा पेश किया। जिसमें तर्क दिया गया कि 2012 में भी उस जगह पर गड्ढा मौजूद था। इस तर्क को कोर्ट ने नहीं माना और कहा कि गूगल पर हर समय विश्वास नहीं किया जा सकता..! सब फेल हो गए हैं..! वहीं अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि गांव और आसपास के लोग भी यहां से ले जाते रहे हैं, जिसपर कोर्ट ने कहा ऐसे मामलों में जिम्मेदारों की आंखें बंद रहती हैं। इतना नहीं है कि गांव वाले बेचारे ले गए हैं..! ये जो बड़े -बड़े लोग हैं जो इस सबके पीछे हैं..!
अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि 2018 से रेगुलेशन के साथ रॉयल्टी लेने का प्रावधान किया गया और एक व्यक्ति को परमिशन भी दी गई है। वही खनिज विभाग की तरफ से मेमर्स फॉर्चून एलिमेंट के संचालक पवन अग्रवाल को नोटिस दिया गया है। कोर्ट ने नाराजगी जताई की न्यूज़ आइटम 13 दिसंबर का है और आपने बिल्डर को नोटिस इतने दिनों बाद दिया है। रक्षा मंत्रालय का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा ने कोर्ट में कहा कि ,अपील है जिला प्रशासन के अधिकारी कलेक्टर इस जमीन पर हो रहे उत्खनन पर रोक लगाए। वहीं कोर्ट ने इस पूरे मामले में शासन और केंद्र सरकार के रक्षा मंत्रालय विभाग से शपथपत्र पर जवाब मांगा है।अगली सुनवाई 9 जनवरी 2025 को रखी गई है। दरअसल बिलासा देवी केवट एयरपोर्ट चकरभाठा से लगी रक्षा मंत्रालय विभाग की जमीन जो तेलसरा ग्राम के अंतर्गत आती है। जिसमें अवैध रूप से मुरूम का उत्खनन किए जाने की खबर प्रकाशित की गई। जिसमें बिल्डर के द्वारा मुरूम खोदकर कॉलोनी विकसित की जाने की जानकारी दी गई। वहीं शासन को करोड़ों रुपए की रॉयल्टी का नुकसान हुआ था। इस न्यूज़ आइटम को स्वत संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर हाइकोर्ट में सुनवाई हुई।