सत्येंद्र द्विवेदी
भदोही: (Bhadohi) विकास खंड डीघ के भीखीपुर में चल रही संगीतमय भागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचक डा. रामकृपाल त्रिपाठी ने कहा, भागवत कथा का श्रवण करने वाले जीव पर कलिकाल का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। श्रीधाम वृंदावन से पधारे महाराज ने व्यासपीठ से भक्त और भगवान के विषय का विस्तार देते हुए कहा, भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बुआ कुंती से कहा कि आपका पुत्र युधिष्ठिर चक्रवर्ती सम्राट बन गया है। अब मुझे द्वारिका प्रस्थान करना चाहिए, तो कुंती ने कहा, प्रभु जब मेरे पुत्रों पर विपत्ति थी, तो उसे काटने के लिए आप हमारे साथ थे। अब सब अच्छा है, तो आप जा रहे हैं। इससे अच्छा तो मेरे ऊपर विपत्ति ही बनी रहे, जिससे आप मेरे साथ तो रहेंगे।
महाराज रामकृपाल त्रिपाठी ने कहा, शबरी ने भगवान राम को जूठी बेर खिलाई, द्रौपदी ने ‘अंधे का बेटा’ अंधा कहा, दोनों कहीं नहीं लिखा है। कुछ संत विद्वान अपने भाव के अनुसार बोल देते हैं।
भगवान की कृपा पर चीरहरण प्रसंग पर बोलते हुए कहा, जब कौरवों की सभा में द्रौपदी एक वस्त्र में थीं और एक हजार हाथियों के बल के समान वाला बलशाली दुशासन चीरहरण नहीं कर सका, क्योंकि हर तरफ से निराश द्रौपदी ने जब गोविंद के नाम को पुकारा तो सिर्फ ‘गो’ भर कहने से ही भगवान श्रीकृष्ण का वस्त्रावतार हो गया और उन्होंने भक्त द्रौपदी की रक्षा की। कथा सुनने वालों में पंडित राजकिशोर मिश्र, संत प्रसाद, डा. महेंद्र मिश्र, रवींद्र, विजय, शिवदीप पांडेय, कृपाशंकर पांडेय, विमला देवी, ऊषा, कंचन, किरन समेत तमाम श्रोता मौजूद रहे।
Bhadohi : द्रौपदी की एक पुकार पर कृष्ण ने लिया वस्त्रावतारः डा.रामकृपाल
