India Ground Report

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें संदीप गांधी “नेहाल” की कविता आशिकी

यार जिनसे आशिक़ी करते हैं
नाम उनके ज़िंदगी करते हैं

मौत हम को क्या जुदाई देगी
इश्क़ की हम बंदगी करते हैं

साथ में हर पल गुज़र जाता है
हां जो सच्ची दिल्लगी करते हैं

भूल जाओ कोई है शिकवा नईं
याद तुम को हर घड़ी करते हैं

माफ़ दुनिया कर नहीं सकती है
हारकर जो ख़ुदकुशी करते हैं

Exit mobile version