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रोजाना एक कविता : आज पढ़ें मुकेश कुमार सिन्हा की कविता प्रेम का रोग

उसने
हाई ब्लडप्रेशर की गोली एम्लो-डीपीन खाकर
की कोशिश कि
इंट्रावीनस रक्त का संचार
हो पाए सामान्य
ताकि बस
कर पाए प्रपोज़
निकाल ही दे दिल के उद्गार

उसने
नहीं दी चॉकलेट उसको
आख़िर वो नहीं चाहता
मीठे प्यार और चॉकलेट के मीठेपन का
कॉकटेल
बढ़ा दे एकदम-से
उसका ब्लड-शुगर लेवल

डॉक्टर ने
दी है सलाह
एंजियोप्लास्टी की
पर, कहाँ मानता है दिल
चुम्बन
रुधिर के गाढ़ेपन को
बस पिघलाकर
पैदा करता है झनझनाहट
तरंग
पिघल चुका कोलेस्ट्रोल भी

प्रेम पत्र के
बाएँ उपरले कोने पर
लिखा है Rx

खींचे हुए पेन से लिखा था ‘प्रेमरोग’
प्रेम एंटीबायोटिक है न!

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