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रोजाना एक कविता : आज पढें पूनम तुषामड़ की कविता बुरी औरत

A poem a day:

https://youtu.be/QE1mSNXSKH0

वह घूंघट नहीं काढ़ती
पुरुषों से करती हैं बातें
मिलाती है हाथ
नहीं शर्माती सकुचाती
जोर से हंसती है
तर्क करती है
हर बड़े-छोटे की आंखों में आंखें डाल
पुरुषों के साथ करती है काम
वह करती है बहस खुलेआम
स्त्री-पुरुष सम्बन्धों पर
एड्स पर
गर्भवस्था में उत्पन्न होने वाली
समस्याओं पर
सड़कों बसों ट्रेनों में
घूरती लपलपाई कुंठित भूखी
आकृतियों को सबक सिखाने को
रहती है तत्पर,
मेरे पड़ोसियों की नज़र में
वह औरत बुरी है।

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