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रोजाना एक कविता : आज पढ़ें अंकुश कुमार की कविता होंठों के जूते

रोजाना एक कविता : आज पढ़ें अंकुश कुमार की कविता होंठों के जूते

एक दिन गले मिलने वाले
हाथ मिलाते हैं
और एक दिन सिर्फ़ मुस्कुराते हैं
दूर से देखकर
एक दिन ऐसा भी होता है कि
वे एक दूसरे को देखकर
सकपका जाते हैं
और एक दिन ऐसा भी आता है
जब वे एक दूसरे को देखकर
भाग जाना चाहते हैं
औपचारिकताएँ ऐसे ही आती हैं जीवन में
अनौपचारिक लोगों को दूर करती हुईं।

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